...समाप्त। यूं तो इस शृंखला की पिछली किश्त को अंत मान समाप्त
लिख दिया था, लेकिन पिछले
पखवाड़े की कुछ सक्रियताओं ने पिटारे को फिर खोलने को प्रेरित कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी का दो में से बाद वाला 'हेप्पी बर्थ डे' 17 सितम्बर को
मनाया गया। अब कोई यह ना बताएं कि प्रधानमंत्री के जन्म की पहली तारीख 29 अगस्त
उनके उच्च शिक्षाई दस्तावेजों में दर्ज है। खैर, चूंकि भारतीय जनता पार्टी ने मोदी का जन्मदिन 17 सितम्बर को ही मनाने के निर्देश दिए थे,
सो शासक को ईश्वर का प्रतिनिधि मान पार्टी और
शासन के लाभाकांक्षियों ने देश भर में धूमधाम से जन्मदिन तभी मनाया।
बीकानेर शहर में भी कई आयोजन हुए। इस बार मोर्चा फतह करने का अवसर लपका
बीकानेर पश्चिम विधायक गोपाल जोशी के पोते विजयमोहन जोशी ने। प्रधानमंत्री मोदी के
जन्मदिन पर उन्होंने दो दिनों में छह आयोजन कर पश्चिम सीट से अन्य भाजपा
टिकट-आशार्थी अविनाश जोशी से प्रतिस्पर्धा की खुली मुनादी कर दी। पिछली किश्तों
में बीकानेर पश्चिम से टिकट के जिन भाजपाई दावेदारों का जिक्र हुआ इन दोनों
नौजवानों का जिक्र है।
अब तक केवल जयपुर में पैठ बनाने और उसे पुख्ता रखने में लगे रहे अविनाश जोशी
को शहर की सुध आई तो यहां की सबसे बड़ी कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या के
समाधान के लिए पिछले दिनों सक्रिय हुए और इस हेतु लम्बे समय से लम्बित सार्वजनिक
निर्माण मंत्री यूनुस खान की बीकानेर यात्रा करवा दी। यूनुस खान ने भी अपनी
नेताई-चतुराई पूरी बरती और सभी को 'बेटा देकर'
लौट गये। एलिवेटेड रोड इस राज में बननी शुरू
होगी, नहीं होगी यह बीकानेरियों
की जागरूकता, प्रतिनिधियों की
तत्परता और अविनाश जोशी और विजयमोहन जोशी जैसे नये टिकट-आशार्थियों की सक्रियता पर
निर्भर है। लेकिन इतना जरूर है कि एलिवेटेड रोड के लिए यूनुस खान जब सादुलसिंह
सर्किल से स्टेशन तक पदयात्रा कर रहे थे, तब ये दोनों जोशी बन्धु उनके ना केवल साथ थे बल्कि अपनी सक्रियता जताने को
युनूस खान के दांयें-बाएं भी बने रहे। चश्मदीदों की मानें तो एक बार दोनों में
छिटपुट तकरार भी हुई, 7-8 वर्ष बड़े
अविनाश ने 'बड़प्पन' भी जताया लेकिन विजयमोहन नहीं दबे।
चूंकि एलिवेटेड के लिए युनूस खान के इस 'रोड-शो' का श्रेय अविनाश
जोशी को मिला और विजयमोहन जोशी के मुकाबले शहरी सक्रियता की रही कमी को अविनाश
जोशी ने कुछ-कुछ यूं पूरा कर लिया है। लगता है इसका अहसास भी विजयमोहन जोशी को हो
गया है, इसीलिए शहरी लोक में अपनी
बढ़त बनाए रखने के लिए ही विजयमोहन जोशी ने मोदी की बरसगांठ मनाई हो। यह सब बताने
का मकसद इतना ही है कि अगले वर्ष भर अब दो पुराने मित्रों-गोपाल जोशी और मक्खन
जोशी के इन दोनों पोतों की सार्वजनिक प्रतिस्पर्धा शहरियों के आनन्द का सबब बनेंगी,
बशर्ते दोनों के बीच कोई बदमजगी ना हो। ये
दोनों जितना दौड़ेंगे, इस पश्चिम सीट से
भाजपाई टिकट के अन्य आकांक्षी उतने ही पिछड़ते जाएंगे। यहां पर खरगोश और कछुए वाली
कहानी शायद इसलिए लागू नहीं होगी, क्योंकि विजयमोहन
जोशी और अविनाश जोशी दोनों ही उस खरगोशी मुगालते में नहीं दिख रहे हैं।
लेकिन, केवल इस से बटेगा क्याï?
बीकानेर शहर सीट से जनता पार्टी का टिकट 1977 में मक्खन जोशी का तय हो गया था, निश्ंिचत हो मक्खन जोशी ने शाम को पार्टी का
राष्ट्रीय कार्यालय छोड़ दिया, उधर रात को ही
महबूब अली ने पार्टी सिम्बल लिया और परचा दाखिल करने दूसरे दिन सुबह बीकानेर पहुंच
गये। मक्खन जोशी को भनक लगी तब तक चिडिय़ा खेत चुग गई थी। 'साईं की सौ कुदरत' का जुमला शायद ऐसे ही अचम्भों के लिए कहा गया है।
टिकट के जिस-जिस दावेदार ने अपनी गोटियां अब तक जैसी भी फिट कीं, अमित शाह की पिछली जयपुर यात्रा के बाद वह सब 'लूज' होने लगी हैं। गोटी कब किसकी गिर पड़ेगी और किसकी फिट होगी अभी से अनुमान संभव
नहीं है। प्रदेश भाजपा की 'सुप्रीमों'
वसुंधरा राजे अब कितनी सुप्रीमों रह पायीं है,
सभी जानते हैं और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक
परनामी कांग्रेस राज में अपने समकक्षी रहे डॉ. चन्द्रभान जितनी हैसियत भी रख
पाएंगे, कह नहीं सकते।
लेकिन इस बीच अविनाश और विजयमोहन जैसे उत्साही नौजवानों से उम्मीद है कि वे
अपनी प्रतिस्पर्धा को जारी रखेंगे। और इसके लिए दोनों शहर की समस्याओं और जरूरतों
की छोटी-मोटी फेहरिस्त बना उन पर सक्रिय हो शहरियों को यह महसूस करा पाएं कि कौन
उनके हितों के लिए लडऩे में सक्षम है, दोनों को अपना कॅरिअर नई पीढ़ी के राजनेता का बनाना है तो ऐसा करना जरूरी भी
है, जो जितना करवा पायेगा
शासन में उसकी उतनी ही पहुंच साबित होनी हैं, पार्टी हाइकमान और संघ में पहुंच तो टिकट मिलने पर साबित
होगी। बीकानेरियों के लिए भी यह अनुभव अनूठा तो होगा ही, शहर का कुछ सुधारा भी होगा।
—दीपचन्द सांखला
21 सितम्बर, 2017
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