Thursday, May 4, 2017

पत्र मुख्यमंत्री सुश्री वसुन्धरा राजे के नाम : बीकानेरियों की उम्मीद की टकटकी आप पर ही टिकी है, वसुंधराजी!

मान्या वसुंधराजी!
अभिवादन! शुरुआत में आपके पूर्व मुख्यमंत्रित्व काल का स्मरण जरूरी है। 2008 में आपने राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह बीकानेर में आयोजित किया। इस अवसरी बहाने से तब शहर में विकास के कामों को एक अभियान के तौर पर अंजाम दिया गया था। इस शहर में उस तरह से काम ना तो आजादी बाद पहले कभी हुए थे और ना ही वर्तमान तक। विकास कार्यों के आपके उस अभियान का ही प्रभाव था कि ना केवल 2008 के विधानसभा चुनावों में शहर की दोनों सीटें वरन् 2009 में लोकसभा की सीट भी भारतीय जनता पार्टी ने आसानी से जीत ली। स्थानीय बाशिन्दों में उस प्रभाव की खुमारी 2014 तक ही नहीं उतरी, नतीजतन मतदाताओं ने 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में फिर से शहर की दोनों सीटों पर भाजपाई विधायक तथा 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपाई सांसद को ही जितवाया।
इस पत्र का मकसद यह बताना भी है कि इस शहर के बाशिदे घोर संतोषी तो हैं ही, भोले भी इतने हैं कि इन्हें अपने हित-अहित का ही भान नहीं होता। प्रमाण इससे ज्यादा क्या कि प्रदेश के बड़े माने जाने वाले सभी छह शहरोंजयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, कोटा और बीकानेर में से शहरी विकास के मामले में यह बीकानेर ही सर्वाधिक पिछड़ रहा है। प्रतिकूलता इस शहर की यह भी रही कि अब तक चुने जाते रहे जनप्रतिनिधियों में भी इस शहर के विकास को लेकर ना स्पष्ट व्यावहारिक दृष्टि देखी गई और ना ही भगीरथी प्रयास का संकल्प ले वे कुछ करवा पाए।
मुख्यमंत्री को पूरे प्रदेश को देखना होता है, उसके चलते किसी एक क्षेत्र को वह कितना देख पाता है? लेकिन 2008 में आपने उससे ज्यादा ही बीकानेर को देखा। स्थानीय चुने जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के बावजूद आपने जो किया उसे यहां की जनता जब-तब आज भी याद करती है।
बीकानेर शहर की फिलहाल बड़ी समस्या कोटगेट क्षेत्र के आस-पास दो रेल फाटकों का होना और इनके बार-बार बन्द होने से लगभग पूरे दिन यहां यातायात का जाम होते रहना है। इसे यहां से गुजरने वाले शहरी तो प्रतिदिन भुगतते ही हैं, चूंकि सबसे बड़ा व्यापारिक क्षेत्र भी यही है इसलिए लगभग पूरे दिन रहने वाले इस जाम का खमियाजा यहां के व्यापारी भी भुगतते हैं।
मुख्यमंत्री के तौर पर आपके पहले कार्यकाल की यह उपलब्धि रही कि वर्ष 2006-07 में इस समस्या के सर्वाधिक व्यावहारिक समाधान हेतु आरयूआईडीपी के माध्यम से एलिवेटेड रोड की योजना बनी। चंद अविवेकी व्यापारियों के विरोध और उस विरोध में कुछ राजनेताओं ने सुर इसलिए मिला दिया कि इस समाधान का श्रेय सत्ता पक्ष को ना मिल जाए! ऐसे तुच्छ विरोध के चलते तब बनी वह योजना कम्प्यूटरों-बस्तों में बन्द होकर ऐसी गुम हुई कि अब जब इसके क्रियान्वयन का समय आया तब ना स्थानीय प्रशासन के पास और ना ही नगर विकास न्यास के पास उस योजना की कोई सॉफ्ट या हार्ड कॉपी है। और तो और एलिवेटेड रोड योजना का तब बना वह मॉडल भी गुम हो गया जिसे तब शहर में प्रदर्शित किया गया था और जिस पर अधिकांश जनता ने सहमति जताई थी।
आपके इस दूसरे कार्यकाल में जब भी मौका मिला है, जागरूक बीकानेरियों ने अपनी इस बड़ी समस्या की गुहार आपके सामने लगाई है। आपने भी इस पर गौर किया और ना केवल 2015-16 के बजट में इस हेतु 135 करोड़ रुपये का प्रावधान किया बल्कि अपनी चतुराई से इस मद को केन्द्र से हासिल करने की स्वीकृति भी ले ली।
इस स्वीकृति के बाद वर्ष 2006-07 में बनी एलिवेटेड रोड योजना का पुनर्मूल्यांकन कर अमलीजामा पहनाने की बजाय इस पर नये सिरे से कवायद होने लगी। सुना जाता है कि आपने शहर के भविष्यगत फायदे के हिसाब से कह दिया कि इस एलिवेटेड रोड योजना को आगामी पचास वर्ष के हिसाब से बनाया जाए! जैसा कि अधीनस्थ सामान्यत: ऊपर वालों को खुश करने में ज्यादा ही उत्साही होते हैं सो इस योजना के सर्वे कार्य में भी यही सब हो रहा है। एनएचएआई ने इस सर्वे को फोरलेन के हिसाब से करना शुरू किया जिसके चलते क्षेत्र के लोगों में रोष बढऩे लगा और जिनका एजेण्डा ही विरोध है, वे सक्रिय हो लिए। ऐसा इसलिए कि इस सर्वे में क्षेत्र के व्यापारियों को कहा गया कि फोरलेन एलिवेटेड रोड बनाने के लिए लगभग 450 व्यावसायिक और रिहाइशी भवनों को आंशिक तौर पर हटाया जाएगा। जबकि यहां बनने वाले एलिवेटेड रोड का कई कारणों से फोरलेन होना जरूरी नहीं है। इसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्टत: समझा जा सकता है
     प्रस्तावित एलिवेटेड रोड मुख्यत: बीकानेर के पूर्वी सीमित क्षेत्र को पश्चिम स्थित पुराने शहर यानी भीतरी हिस्से को जोडऩे का काम करेगी।
     शहर की भीतरी बसावट बेहद घनी है और मकान सामान्यत: छोटे-छोटे क्षेत्रफलों में बने हैं। इतना ही नहीं, इस पुराने शहर में रहने वाले बाशिन्दों ने शहरी फसील के बाहर अपने-अपने औपनिवेशिक मुहल्लों का विस्तार कर लिया है। मुरलीधर व्यास कॉलोनी, जवाहर नगर, मोहतासराय क्षेत्र, गोपेश्वर बस्ती, कोठारी हॉस्पिटल क्षेत्र, सर्वोदय बस्ती, बंगला नगर आदि कॉलोनियों में वही लोग बसे हैं जिनके पुश्तैनी घर शहर के भीतरी मुहल्लों में हैं और जगह के अभाव में मन मार कर ही सही उन्हें विस्थापन झेलना पड़ा। अलावा इसके शहर के भीतरी क्षेत्र में लम्बा चौड़ा कोई स्थान भी खाली नहीं है, जहां कोई नई बसावट भविष्य में हो सके, इसलिए भीतरी क्षेत्र की जनसंख्या में कोई गुणात्मक बढ़ोतरी नहीं होनी है। इस तरह समझने पर नहीं लगता कि प्रस्तावित इस टू-लेन एलिवेटेड रोड के यातायात में भविष्य में गुणात्मक दबाव आयेगा।
     इस एलिवेटेड रोड का उपयोग पुरानी व नयी गजनेर रोड के इर्द-गिर्द और पब्लिक पार्क क्षेत्र के वे लोग कर सकते हैं जिन्हें बीकानेर रेलवे स्टेशन के एक नम्बर गेट से एन्ट्री करनी है। इसकी जरूरत भी इसलिए नहीं बढ़ेगी क्योंकि स्टेशन की सैकण्ड एन्ट्री से इस तरफ के लोगों की पहुंच ज्यादा सहज हो गई है। ऐसे में इस बसावट के लोग स्टेशन की सुविधाजनक सैकण्ड एन्ट्री छोड़ एलिवेटेड रोड का उपयोग कर फस्र्ट एन्ट्री की तरफ जायेंगे, ऐसा नहीं लगता। क्योंकि एलिवेटेड का उपयोग करने पर उन्हें समय भी ज्यादा खर्च करना होगा और फस्र्ट एन्ट्री पर पार्किंग की समस्या का सामना भी करना होगा।
     अलावा इसके बीकानेर रेलवे स्टेशन पर दोनों तरफ की एन्ट्री हेतु शहर के सभी हिस्सों को जोडऩे वाले छह बड़े मार्ग वर्तमान में सुचारु हैं। इन मार्गों के चलते कुछ-थोड़ा सा ही यातायात ऐसा हो सकता है जो रेलवे स्टेशन जाने के लिए एलिवेटेड रोड का उपयोग करेगा।
     यह सब बताने की जरूरत इसलिए समझी कि प्रस्तावित एलिवेटेड रोड भविष्य को देखते हुए भी टू लेन की ही पर्याप्त है। वैसे भी एलिवेटेड रोड पर ना तो कोई पार्किंग होती है कि लोग बेतरतीब वाहन पार्क करके यातायात में बाधा पैदा करेंगे और ना स्ट्रीट वेन्डर ही बाधक बनते हैंइसीलिए एलिवेटेड रोड पर यातायात निर्बाध चलता है। हां, बिना कोई भवन तोड़े संभव हो तो इस एलिवेटेड योजना की चौड़ाई थोड़ी बढ़ाई जा सकती है।
मान्या वसुंधराजी! आपको संबोधित इस पत्र का मकसद यही है कि पूर्व के आपके कार्यकाल के समय 2006-07 में बनी एलिवेटेड रोड योजना ना केवल व्यावहारिक है बल्कि उस योजना की बड़ी खासीयत यह है कि उसके निर्माण में ना ही कोई एक इंच निजी भूमि अधिगृहीत होनी है और ना ही कोई निजी या सार्वजनिक भवन एक इंच भी टूटना है। टू-लेन एलिवेटेड रोड की थोड़ी चौड़ाई बढ़ाने के अलावा उसमें परिवर्तन इतना ही करने की जरूरत है कि उस योजना में स्टेशन की ओर का हिस्सा कोटगेट थाने तक बनना दर्शाया गया है, उसे स्टेशन रोड स्थित ग्रीन-डीलक्स होटल तक ही बनाना ज्यादा लाभदायक रहेगा। वह इसलिए कि वर्तमान में गंगाशहर रोड से स्टेशन की ओर आने वाले यातायात को इकतरफा करके बिस्किट गली से निकाला जाने लगा है। इस परिवर्तन से गंगाशहर की तरफ से आने वाले यातायात को बिना कहीं घूमे सीधे इस एलिवेटेड रोड की सुविधा मिल जायेगी। क्योंकि बिस्किट गली का मुहाना स्टेशन रोड के ग्रीन-डीलक्स होटलों के बाद ही आता है।
मुख्यमंत्रीजी! कोई काम ना होने के चलते आरयूआईडीपी के बीकानेर कार्यालय को यहां से हटा दिया गया और उसके दस्तावेज और कम्प्यूटर जयपुर स्थित मुख्यालय में चले गये हैं। वर्ष 2006-07 में उनके द्वारा बनाई एलिवेटेड रोड योजना के सभी नक्शे और दस्तावेज आरयूआईडीपी के जयपुर स्थित मुख्यालय में सुरक्षित हंै, ऐसी जानकारी मिली है। आपसे अनुरोध है उन नक्शों और दस्तावेजों को कृपया निकलवाएं और सुझाए गए थोड़े परिवर्तनों के बाद उसी पर काम यदि होगा तो महीने-बीस दिन में ही इसका शिलान्यास भी संभव हो सकेगा।
इसे जल्दबाजी नहीं तत्परता की जरूरत मानें। 2019 में चुनाव होना है, उसमें अब ज्यादा समय नहीं है। यह शहर कृतघ्न नहीं है, इसका प्रमाण 2008 के स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर आप द्वारा करवाए वे काम और उसके बाद 2008 के विधानसभा, 2009 के लोकसभा व 2013 के विधानसभा तथा 2014 के लोकसभा चुनावों के परिणाम हैं जिनमें इस शहर ने भारतीय जनता पार्टी को ही सर्वाधिक वोट दिये हैं। एलिवेटेड रोड जैसी सुविधा इस शहर के बाशिन्दों को मिलती दिखेगी तो कोई कारण नहीं कि यह शहर कृतघ्न हो जायेगा। इसका सीधे-सीधे लाभ आपके नेतृत्व में होने वाले चुनावों में भाजपा को हासिल होगा। बीकानेर का शहरी जो तीन दशकों से भी ज्यादा समय से इस समस्या से जूझ रहा है, एलिवेटेड रोड बन जाने से वह तो सुकून महसूस करेगा ही।


5 मई, 2017                                                                                                                  --दीपचन्द सांखला

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