Monday, April 10, 2017

शहर में बारिश (3.09.2011)

इन दिनों दो खबरें आम है। पहली यह कि पूरा शहर बारिश की वजह से कीचड़ से सना है। ऐसे में प्लास्टिक डिस्पोजेबल और थैलियां भी अपना रंग दिखाते हैं। सड़कों पर जब पानी जमा होता है तो कीचड़ भी होगा। पानी-कीचड़ में से ट्रैफिक के गुजरने से डामर की सड़क चौबीस-छत्तीस घंटे में खड्डों में तबदील हो जायेगी।
सड़क बनाने वाले सरकारी विभाग जैसे पीडब्ल्यूडी, नगर विकास न्यास और नगर निगम सड़क बनाने से पहले इस पर एक्सरसाइज क्यों नहीं करते कि पानी की निकासी व्यवस्थित नहीं होगी तो सड़क टूटेगी ही।
या वे जान-बूझ कर ऐसा होने देते हैं कि काम का सिलसिला चलेगा तभी कुछ हासिल होगा।
कई बार यह भी देखा गया है कि सड़क बनने के महीने-दो महीने में ही जलदाय विभाग वहां की लाइन बदलेगा या टेलिफोन की कोई कम्पनी अपनी केबल। सड़कों का किसी भी तरह से उपयोग करने वाले अधिकतम पांच-सात विभाग ही होंगे। क्या उनमें समन्वय सम्भव नहीं है।
बीकानेर शहर में सावन-भादवे में बारिश होती है। यही दो माह होते हैं जब आधा शहर मेले-मगरियों के चलते काम से विरक्त हो जाता है।
पूरा शहर गन्दगी से भरा-पूरा है। नगर निगम के प्रशासक ने यह कहते हुए लाचारी दिखा दी कि नियमित सफाईकर्मी और अस्थाई सफाईकर्मियों में से अधिकतर मेले में लगे हुए हैं।
सफाईकर्मी ही क्यों अधिकतर सरकारी कार्यालयों में यही स्थिति है। और जो मेले में नहीं गये हैं उनका भी इस माहौल में काम करने का मन ही नहीं बनता।

वर्ष 1 अंक 13, शनिवार, 3 सितम्बर, 2011

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