अन्ना आन्दोलन के उजास में झांकने लगी उम्मीदों के बीच सभी शिक्षक संगठनों के दो दिवसीय जिला शैक्षिक सम्मेलन आज शुक्रवार से शुरू होकर कल शनिवार तक संपन्न होंगे।
कुल सोलह संगठनों में से एक के पदाधिकारी ने अपने एजेंडे में स्कूलों के शैक्षिक वातावरण में सुधार पर विचार करने की बात भी कही ह्रैआयोजित सभी सम्मेलनों के एजेंडे में रस्मी तौर पर यह मुद्दा संभवतः शामिल होगा।
अन्ना आन्दोलन से आयी जागरूकता के चलते अगले कुछ दिनों में सरकारी सेवा के शिक्षकों और शैक्षिक संगठनों को अच्छे ना लगने वाले कुछ प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है।
--बड़े-बड़े भवनों, मोटी रकम के स्थापना खर्च (स्कूल चलाने हेतु बजट) और निजी स्कूलों के अप्रशिक्षित-अर्द्धप्रशिक्षित शिक्षकों से लगभग दस गुना वेतन पाने वाले पूर्ण प्रशिक्षित शिक्षकों के बावजूद सरकारी स्कूलों की साख लगातार क्यों गिरती जा रही है?
--खेलों के लिए मैदानों और प्रशिक्षित कोचों, शारीरिक शिक्षकों और खेलों के लिए अलग से बजट मिलने के बावजूद सरकारी स्कूलों के कितने बच्चे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम दर्ज करवा पाते हैं?
इस तरह के और भी कई प्रश्नों की एक लम्बी फेहरिस्त सामने आ सकती है।
शिक्षकों के वाजिब हकों के लिए लड़ने के साथ-साथ शिक्षक संघों की यह जिम्मेदारी भी है कि वे सचमुच ऐसे प्रयास करें जिससे सभी सरकारी स्कूलों की प्रतिष्ठा पुनः कायम हो।
आज की बात पर विनायक एक चर्चा की शुरुआत का निमंत्रण देता है और उम्मीद करता है कि जागरूक नागरिक, अभिभावक, शिक्षक और शैक्षिक संगठनों के पदाधिकारी बिना किसी लाग-लपेट के और कम शब्दों में अपनी बात लिख भेजेंगे्रयह अखबार आपकी बात को प्रकाशित करेगा।
---वर्ष 1 अंक 18, शुक्रवार, 9 सितम्बर, 2011
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