Friday, April 21, 2017

बाजार जिन्दाबाद /तब और अब में कुछ-कुछ/खुदा तो नहीं खुदा से कम भी नहीं ( 30 सितम्बर, 2011)

बाजार जिन्दाबाद
अब बाजार ही सबकुछ तय करने लगा है। क्या खाना है, कैसा पहनना है, किस तरह से रहना है, रिश्ते किससे-किस तरीके से रखने हैं और तो और पूजा-पर्व और त्योहार भी अपने स्थानीय तौर-तरीकों को दर किनारकर बाजार से प्रेरित होकर गुजराती (गरबा-डांडिया), बंगाली (दुर्गा-पूजा), मराठी (गणेश चतुर्थी) तरीकों से ही मनाये जाने लगे हैं। क्योंकि इन तरीकों से बाजार के लिए लोगों की जेबों से पैसा खींचने के नये क्षेत्र खुलते हैं, बाजार रोशन होते हैं और उसमें नई रौनकें भी आती है।
जिनके पास उद्योग है, व्यापार है, ठेकेदारी है, कोरपोरेट की या सरकारी नौकरियां हैं या दूसरे-दसवें नं. के काम हैं ये बाजार उन्हीं के लिए हैं। जिनके पास ऐसा या इस तरह का कुछ नहीं है उनके साथ इस तरह के त्योहारों-पर्वों में क्या गुजरती है, कभी दो-तीन मिनट आंख बंद करके इसकी भी कल्पना करनी चाहिए।
तब और अब में कुछ-कुछ
आप टीवी-अखबारों से नियमित रिश्ता रखते हैं और कभी बचपन और किशोर उम्र में राजा-सामन्तों के किस्से भी आपने सुने हों तो इन दिनों की ऐसी घटनाओं को किस तरह से लेंगे। जैसे प्रणव-चिदंबरम की तना-तनी, आडवाणी-नरेन्द्र मोदी की खींचा-तानी, सुषमा, अरुण जेटली का मोदी से सहमना, येदुरप्पा-रेड्डी बन्धुओं की सांठ-गांठ, महाराष्ट्र-उत्तराखण्ड में तीन-तीन मुख्यमंत्रियों का बदला जाना, नारायणदत्त तिवारी, महिपाल मदेरणा, मलखानसिंह और अब रामलाल जाट पर लगे आरोप और संदेह। इन सब पर क्या सोचते हैं आप?
खुदा तो नहीं खुदा से कम भी नहीं
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने की खबरें अब तो रोज-हमेश ही एक से अधिक देखी जाने लगी हैं। रंगे हाथों पकड़े जाने की ऐसी कार्यवाहियों के बावजूद भी ऐसा लेन-देन रोजाना हजारों करते ही हैं, रुक तो नहीं रहा। कई कारणों से पकड़े तो एक-दो ही जाते हैं।
धड़ल्ले से यह सब चलने का कारण दुस्साहस है, या पकड़े जाने की चतुराई का गुमान या इन रुपयों में ही ऐसा कुछ है कि आदमी अपने पर काबू ही नहीं रख पाता। आपको एक स्टिंग में भाजपा के बड़े नेता का वो डॉयलाग तो याद ही होगाकसम खुदा कि ये (रुपयों के लिए) खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं अब तो यह डॉयलाग एक बीमा कंपनी के विज्ञापन में भी आने लगा है। उन नेता को उस विज्ञापन कंपनी पर रॉयल्टी का क्लेम करना चाहिए। यह मुफ्त सलाह इसलिए क्योंकि उन नेता का ननिहाल बीकानेर में जो है।

वर्ष 1 अंक 36, शुक्रवार, 30 सितम्बर, 2011

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