Friday, April 21, 2017

न्यायिक और जन सजगता (23 सितम्बर, 2011)

इसे सक्रियता कहें या सजगता, जो भी हो, लगता है कि पूरे देश में एक संकल्प के साथ इन दोनों का आभास होने लगा है।
अपने शहर बीकानेर को ही लें। रोज-बरोज कहीं कहीं से गलत होने के खिलाफ स्वर सुनाई देने लगे हैं। और तो और जो लोग खुद गलत कामों में लगे हैं लगता है उन्हें भी उससे ग्लानि या विरक्ति होने लगी है।
जैसे ठेकेदारों को ही लें। सद्बुद्धि यज्ञ करने लगे हैं। बजरी और जिप्सम दोनों का ही अधिकतर अवैध खनन हो रहा है। ऐसे कामों में लगे सभी को लगने लगा है कि कानून- सम्मत और उदार कुछ ऐसी व्यवस्था हो जाये कि उन्हें गलत ना करना पड़े। अधिकतर पीओपी फैक्ट्री वाले अधिक लाभ के लोभ में ईंधन के वैकल्पिक साधन होने के बावजूद रोइ के पेड़ों की अवैध कटाई में लगे हैं। शायद उन्हें नहीं पता कि इनमें से अधिकतर पेड़ खेजड़ी के होते हैं जो हमारे इस थार रेगिस्तान की जलवायु को संतुलित रखते हैं। इसमें वन विभाग की गैर-जिम्मेदारी भी जाहिर होती है। क्या इसके लिए पीओपी फैक्ट्री-मालिकों का संघ कोई संकल्प की घोषणा करेगा।
ऊपर जो सक्रियता और सजगता की बात की गई है वह इन दिनों की न्याय व्यवस्था की सक्रियता से प्रेरित है। चाहे अमरसिंह के मामले की सुनवाई करने वाला दिल्ली का सेशन कोर्ट हो या भंवरीदेवी प्रकरण में पुलिस कार्यवाही पर असंतोष जाहिर करने वाला राजस्थान का हाई कोर्ट या फिर 2जी घोटाले पर सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट की फटकार या सुप्रीम कोर्ट को लक्ष्मण रेखा का ध्यान दिलाने पर केन्द्र सरकार को दिया गया उसका सटीक जवाब। ऐसी घटनाएं देश की न्याय व्यवस्था में विश्वास जगाती दीखती हैं। ऐसी न्यायिक सक्रियता शासन और प्रशासन को कर्तव्य के प्रति लापरवाही करने और निरंकुश होने से रोकती है।
खुद न्याय व्यवस्था में आये मैलेपन पर भी जब-तब दबी जबान से कहा जाने लगा है। जस्टिस सौमित्र सेन पर महाभियोग और पिछले महीनों में राजस्थान न्यायिक सेवा से एक साथ हटाये गये कई जजों की घटनाएं इसकी पुष्टि भी करती हैं।
जनता की ओर से बहुत वर्षों बाद अपने हकों के समर्थन में और गलत हो रहे कामों के विरोध में स्वर सुनने को मिलने लगे हैं।
योग-शिक्षक रामदेव (चाहे उनका छिपा एजेन्डा कुछ भी हो) द्वारा कालेधन के खिलाफ जागरूकता पैदा करना, अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल के बहाने और मीडिया के सहयोग से भ्रष्टाचार के विरुद्ध जगाई गई उम्मीदें शुभ संकेत ही हैं।

वर्ष 1 अंक 30, शुक्रवार, 23 सितम्बर, 2011

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