Friday, April 21, 2017

महापौर : पद भोगने का या दायित्व निभाने का? ( 19 सितम्बर, 2011)

शहर में स्थानीय निकाय कैसा काम कर रहे हैं, या शहर के लोग किस तरह से रहना पसंद करते हैं। इसके लिए किसी को उनके दफ्तर जाने की जरूरत नहीं है, आप उस शहर की गलियों-सड़कों से गुजर जायें। ऐसे प्रश्नों जवाब मिल जायेंगे।
बीकानेर से गुजरने वाले और शहर के बाशिंदे बिना डगमगाये और बिना नाक भौं सिकोड़े और रात हो तो रोड लाइटों के चलते बिना बाधाके यह सब कर गुजरें। ऐसा संभव करने के लिए कहने को दो स्थानीय निकाय मुस्तैद हैं। नगर विकास न्यास और नगर निगम। नगर निगम में अब चुने हुवे महापौर भी हैं, कहते हैं कि महापौर की हैसियत एक विधायक से ज्यादा है क्योंकि लगभग दो विधायकों के चुनाव क्षेत्र से उनका चुनाव हुआ है।
हमारे शहर के महापौर लगता है इस महापौरी को निर्लिप्त भाव से भोग रहे हैं।  महापौरी के दायित्वों से ज्यादा महापौरजी का समय समारोह और स्वागत समारोह में व्यतीत होता है। इन समारोह में आते-जाते भी वे अपनी गाड़ी से बाहर झांके तो भी शायद उन्हें अपने दायित्वों के प्रति जाग सकती है। पता नहीं वे इस झांकने की क्रिया से क्यों परहेज करते हैं। पूरा शहर का हाल पहले से ही बेहाल था और अब बारिश ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया है।
शहर में जगह-जगह सिवर लाइन या तो जाम है या धसकी हुई है--अम्बेडकर सर्किल से तुलसी सर्किल की और जाने वाली सड़क को तीन से ज्यादा जगह से धसके हुवे एक माह से ऊपर हो गया। अखबारों में इसके बारे में एक से ज्यादा बार भी चुका है लेकिन लगता है वे चाहते हैं कि पिछले दिनों दिल्ली से टीवी में और अखबारों में छपे एक फोटो जिसमें दो कारें ओंधे मुंह खड्डे में गिरी है--वैसा ही एक फोटो बीकानेर का भी देश-दुनिया में छपे।
शहर की कई नालियां जो बीच सड़क से गुजरती है--उन नालियों से गुजरने को कहीं पट्टियां से तो कहीं लोहे की शीटें लगी है। वो कई जगह उखड़ी हुई हैं और लम्बे समय से उखड़ी है।
बी. के स्कूल के पास और अग्रसेन सर्किल के पास की दो क्रोस नालियों से महापौर जी की गाडी कैसे गुजरती है--यह देखने की इच्छा कई शहरवासियों की हो सकती है।
रोड लाइटों की माया भी समझ से परे है या तो चौबीसों घंटे जलती है या कई-कई दिनों तक रोशन ही नहीं होती। उम्मीद है महापौरजी पद को भोगने की बजाय उसके दायित्व को समझेंगे। बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं। वे काबिल हैं इसीलिए ही शहर ने उनमें भरोसा जताया था।

वर्ष 1 अंक 26, सोमवार, 19 सितम्बर, 2011

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