Monday, April 10, 2017

नगर विकास न्यास की घोषणाएं (10 सितम्बर, 2011)

नगर विकास न्यास की शुक्रवार को हुई बैठक कई लुभावने निर्णयों के कारण महत्त्वपूर्ण कही जा सकती है। पिछले वर्षों में हुई न्यास की बैठकों में से कई बैठकों में इसी तरह के फैसले हुए हैं। अकसर होता यह है कि जिला कलक्टर जो कि ज्यादातर समय न्यास के पदेन अध्यक्ष होते हैं, घोषणाओं के थोड़े समय बाद या तो उनका तबादला हो जाता है, या फिर न्यास के अध्यक्ष पद पर सरकार से मनोनीत अध्यक्ष जाता है। इसी तरह यदि मनोनीत अध्यक्ष ने कुछ घोषणाएं की होती हैं तो राज्य में सरकार बदलने पर अध्यक्ष को हटा दिया जाता है।
देखा गया है कि इन बदलावों के बाद पिछले अध्यक्ष की घोषणाओं पर नये अध्यक्ष बिना उन योजनाओं की जनउपयोगिता जांचें उदासीन हो जाते हैं। इससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है।
स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि इस तरह से घोषित सभी योजनाएं न्यास के रोजमर्रा के कामों का हिस्सा हो जानी चाहिए ताकि वे पूर्णता को प्राप्त कर सकें।
न्यास ने यह भी निर्णय लिया है कि कब्जों की समस्या से निजात पाने को न्यास अपने एक अलग थाने की स्थापना करेगा। कल हो सकता है नगर निगम भी कुछ इसी तरह की घोषणा करे।
थाना बनाने से पहले न्यास को एक अभियान चला कर अपनी जमीनों-भूखण्डों को चिह्नित कर इन की बड़े-बड़े अक्षरों में एक सूची न्यास कार्यालय में लगानी और उसे अखबारों में साया करनी चाहिए। इतना ही नहीं घनी बसावट में चुके भूखण्डों को तुरन्त नीलाम भी कर देना चाहिए। ताकि वे खुर्द-बुर्द ना हो सके। अन्यथा न्यास में पुलिस इंस्पेक्टर का पद तो अभी भी है। थाना होगा तो क्या कब्जे रुक जायेंगे?
बीकानेर के आबकारी विभाग के पास तो उपअधीक्षक स्तर के अधिकारी के साथ पूरा महकमा है। बावजूद इसके आमजन जानता है कि सब तरह से सब कुछ बिकता है।

ट्रैफिक लाइटों की जग-बुझ
न्यास ने यह निर्णय भी लिया है कि चार और चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगाई जायेंगी। पब्लिक पार्क के मुख्य गेट चौराहे पर भी ट्रैफिक लाइट है जो न्यास, पुलिस अधीक्षक और जिला कलक्टर के कार्यालयों से हजार फुट भी दूर नहीं है। दिन भर इन ट्रैफिक लाइटों को नजर अंदाज किया जाता रहता है। ट्रैफिक लाइटों को यदि फॉलो नहीं करवा सकते हैं तो इनको बन्द करना ज्यादा ठीक रहेगा। क्योंकि इसी तरह और धीरे-धीरे आदमी के मन में न्याय और व्यवस्था के प्रति लापरवाही जगह बनाती है।
हां म्यूजियम तिराहे की ट्रैफिक लाइटों को सभी तरजीह देते हैं। क्योंकि इस तिराहे पर सवेरे छः बजे से देर रात तक कम से कम तीन कांस्टेबल मुस्तैद रहते हैं। कारण है यह तिराहा पुलिस महकमे और पुलिस दोनों के लिए बड़ा कमाऊ पूत है।

वर्ष 1 अंक 19, शनिवार, 10 सितम्बर, 2011

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