Thursday, December 8, 2016

मुख्यमंत्रीजी ! सुराज संकल्प यात्रा में बीकानेर से किये ये पांच वादे आज भी अधूरे हैं

राजस्थान में भाजपा की सरकार को इस माह तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस वर्षगांठ को मनाने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अगले सप्ताह बीकानेर में हो सकती हैं। आत्मुग्घता में ही सही हमें यह मानने में कोई संकोच नहीं कि वसुंधरा राजे का बीकानेर से कोई छिपा मोह है, जिसे जाहिर करने के ऐसे अवसर वे जब-तब बीकानेर में जुटाती हैं। लेकिन किसी अदृश्य लिहाज में उनके त्वरित क्रियान्वयन करवाने में झिझक जाती हैं।
बीकानेर वाले 2008 के उस उत्तरार्द्ध समय को भूल नहीं पाते जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल के अंतिम स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह यहां आयोजित हुआ और उसके बहाने बीकानेर को ना केवल सजाया-संवारा गया बल्कि पुष्ट भी किया। जिले की जनता कृतघ्न नहीं निकली और सूबे में राज कांग्रेस का बनने के बावजूद बीकानेर की सात में से चार विधानसभा सीटें भाजपा को दीं।
पांच वर्ष गुजर गयेदिसम्बर, 2013 को विधानसभा के चुनाव फिर होने थे। इसी सिलसिले में वसुंधरा राजे सुराज संकल्प यात्रा के बहाने प्रदेश में निकली और जून, 2013 में बीकानेर भी आयीं। जिले की जनता ने भव्य अगवानी की। राजे ने भी अपने इस सत्कार को हाथों-हाथ लिया। यात्रा के इसी पड़ाव में वसुंधरा ने बीकानेर से कुछ वादे किए। इस आलेख का मकसद राजे को स्मरण कराना ही है कि राजे-राज के इन तीन वर्षों बाद भी सुराज संकल्प यात्रा के वे पांच वादे पूरे होने की बाट आज भी जोह रहे हैं। यहां हम उन उम्मीदों को भी नजरअंदाज कर देते हैं जो जून 2014 में 'सरकार आपके द्वारकार्यक्रम के दौरान उन्होंने बीकानेरी पड़ाव पर दीं।
राजे सरकार की इस पारी के तीन वर्ष गुजर चुके हैं, दो वर्ष अभी भी शेष हैं। वे चाहें तो 2013 में सुराज देने के बहाने किए उन पांच वादों को इन दो वर्षों में बखूबी पूरा कर सकती हैं। इस उल्लेखनीय कवायद का मकसद उन वादों का स्मरण पुन: करवाना ही है।
राजे की दी उम्मीदें हरी होंगी या सूखेंगी, बिना इसकी परवाह किए उन्हें सिलसिलेवार यहां गिनवाकर अपनी उम्मीदों पर तो जल के छींटे डाल ही लेते हैं।
     बीच शहर से गुजरती रेललाइन और जिसके चलते चौबीसों घंटे कष्ट भुगतते यहां के बाशिन्दे आज भी त्रस्त हैं। राजे ने इसके समाधान का वादा न केवल 2013 की सुराज संकल्प यात्रा में किया बल्कि 2014 में 'सरकार आपके द्वार' में भी उम्मीदें बढ़ाईं। इतना ही नहीं, बीकानेर में आयोजित पिछली मंत्रिमंडलीय बैठक में यह तय ही हो गया कि कोटगेट और सांखला रेल फाटकों से उपजी यातायात समस्या के समाधान के तौर पर वसुंधरा राजे के ही राज में 2006-07 में स्वीकृत एलिवेटेड रोड का निर्माण तुरन्त शुरू करवा दिया जाएगा। इसके लिए धन भी जब केन्द्र सरकार ने देना तय कर लिया, बावजूद इसके यह योजना छह-सात महीने से कहां धूड़ फांक रही है। पहले सुना कि सितम्बर, 2016 में राजे इसके शिलान्यास के लिए बीकानेर आ रही हैं। वह बात तो जाने कहां आई-गई हो गयी। तकलीफ तो यह है कि राजे की आगामी यात्रा में भी एलिवेटेड रोड के शिलान्यास की कोई सुगबुगाहट नहीं है। मुख्यमंत्रीजी! इसका निर्माण यदि तत्परता और दक्षता से होगा तब भी दो वर्ष लग जाने हैं और दो वर्ष से भी कम समय में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। क्या यहां के बाशिन्दों की नियति भुगतते रहना ही है?
     शहर के आधे से भी कम हिस्से में सीवर लाइन है और जो है उनमें भी अधिकांश जर्जर हो चुकी हैं। पूरे शहर के लिए सीवर लाइन की इकजाही योजना बनाकर काम करवाने की जरूरत है। यह वादा भी सुराज संकल्प यात्रा का ही है। इस पर कभी कुछ आश्वासन सुनते हैं और फिर उन आश्वस्तियों का विलोपन हो जाता है। क्या इस पर कोई ठोस घोषणा की उम्मीद आपकी आगामी यात्रा से रखें या इस ओर से भी निराशा ओढ़ कर दुबक जाएं?
     बीकानेर का कृषि विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालय होने की तकनीकी और भौगोलिक दोनों तरह की अर्हताएं पूरी करता है और इसी बिना पर इसके स्वरूप को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की जरूरत समझी जाती रही। इस हेतु बार-बार आश्वासन भी मिलते रहे। स्वयं राजे ने सुराज-संकल्प में इसके लिए वादा किया था। केन्द्र में भाजपा की सरकार को भी ढाई वर्ष हो लिए हैं। विपक्ष की सरकार होती तो फिर भी एक राजनीतिक बहाना था। केन्द्र और राज्य की जुगलबंदी के इस राज में ही बीकानेर को एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजे दिलवा दें तो साढ़े तीन वर्ष पूर्व किए अपने वादे को ही वे पूरा करेंगी।
     भारतीय संस्कृति की धरोहर मानी जाने वाली कपिल मुनि की तप-स्थली का सरोवर अपनी दुरवस्था को हासिल हो समाप्त होने को है। कमल की एक नस्ल ने तो उसका स्वरूप बहुत कुछ नष्ट कर दिया है। कमल उखाड़ फेंकने का एक समय दावा करने वाले कोलायत क्षेत्र के समर्थ इन दिनों कमल के पोषण में लगे हैं या उखाड़ने में, नहीं पता लेकिन उनकी दबंगई के बावजूद कपिल सरोवर का आगोर अवैध खनन का शिकार होता जा रहा है। राजे ने सुराज संकल्प में इस आगोर को संरक्षण देने की बात की थी। पता नहीं मुख्यमंत्रीजी को यह वादा अब याद भी है कि नहीं।
     अन्त में सुराज संकल्प के दौरान किए गए जो पांच वादे पूरे नहीं हुए उनमें से आखिरी सूरसागर को लेकर किए वादे को कुछ संशोधन के साथ वसुंधराजी को याद दिलाना जरूरी है। 'सरकार आपके द्वार' के बीकानेरी पड़ाव के दौरान राजे ने गजनेर पैलेस में बीकानेर से संबंधित सुझावों के लिए कुछ संपादकों-पत्रकारों को आमंत्रित किया था। उस दौरान हुई अन्य बातों में सूरसागर को लेकर मेरे द्वारा दिए इस सुझाव पर मुख्यमंत्री सहमत हुईं कि सूरसागर को कृत्रिम साधनों से भरे रखना बेहद मुश्किल है और पिछले आठ वर्षों में नहरी और नलकूपों से इसे भरे रखने का प्रयास सफल नहीं हुए हैं। तब जो सुझाव दिया गया था वह सूरसागर के तले को मरुउद्यान (डेजर्ट पार्क) के रूप में विकसित करने का था जिसमें थार रेगिस्तान के पेड़-पौधे और अन्य स्थानीय वनस्पतियों के साथ इस क्षेत्र के उन जीव-जन्तुओं को भी रखा जाए जिनकी इजाजत वन विभाग दे सकता है। उस समय मुख्यमंत्री इस सुझाव पर ना केवल सकारात्मक हुईं बल्कि जाते-जाते जो उन्होंने घोषणाएं की उनमें डेजर्ट पार्क की घोषणा भी थी। लेकिन लगता है इसमें गड़बड़ यह हुई कि मुख्यमंत्रीजी से अधिकारियों तक पहुंचते-पहुंचते इस सुझाव में से इसका स्थान सूरसागर ही छिटक गया और केवल घोषणा भर रह गई। वह घोषणा आज भी कहीं धूड़ फांक रही है। मुख्यमंत्रीजी! सूरसागर को यदि मरुउद्यान के तौर पर विकसित कर प्रवेश शुल्क रखा जाए तो जूनागढ़ के सामने होने से ना केवल इसे पर्यटक मिलेंगे बल्कि पानी भरने के खर्चे से बने इस सफेद हाथी से नगर विकास न्यास को छुटकारा भी मिलेगा। डार्क जोन में जा रहे इस क्षेत्र में पानी की बर्बादी रुकेगी वह अलग।
अन्त में मुख्यमंत्रीजी से यही उम्मीद की जाती है कि तीन वर्ष पूरे होने के इस जश्न पर ही सही, सुराज संकल्प के उक्त पांच वादों के पूरे होने का हक यहां के बाशिंदे रखते हैं और यह भी उम्मीद करते हैं कि मुख्यमंत्री इस अवसर पर इन वादों को समयबद्ध सीमा में पूरा करने का आदेश देकर अपने बीकानेरी मोह को अनावृत करेंगी।

8 दिसम्बर, 2016

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