Wednesday, September 14, 2016

ये जनप्रतिनिधि कुछ करेंगे भी या ढोंग ही करते रहेंगे

बीकानेर के सांसद हों या विधायक, इनके बारे में यह कहें कि ये काम कम और ढोंग ज्यादा करते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जिले के कुल सात में से चार विधायक उस भारतीय जनता पार्टी से हैं जिसकी ना केवल सूबे में सरकार है बल्कि केन्द्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ इन्हीं की पार्टी की सरकार काबिज है। ऊपर से क्षेत्रीय सांसद भी भाजपा के ही हैं। सांसद अर्जुनराम मेघवाल अब तो भारी भरकम मंत्रालय के साथ केन्द्र में मंत्री भी हो लिए हैं। सूबे में भाजपा की सरकार बने तीन वर्ष हो रहे हैं तो केन्द्र में ढाई साल से ज्यादा। बावजूद इसके क्षेत्र को हासिल के नाम पर ठनठन गोपाल। वसुंधरा राजे सूबे की मुख्यमंत्री जब से बनी हैं तब से ही अधिकांशत: कोपभवन में अपना समय पूरा कर रही हैं। कारण, केन्द्र में अपनी पार्टी की सरकार के होते हुए भी रुतबा वह नहीं जो पिछली बार था। प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष, दोनों से ही पटरी नहीं बैठ रही, खमियाजा सूबे की जनता को भुगतना पड़ रहा है। व्यक्तिगत बातचीत में विधायक यह कहने में भी संकोच नहीं करते कि मैडम पार्टी विधायकों से तो दूर की बात अपने मंत्रियों को भी समय नहीं देंती।
फिर भी कहा जाता है कि बीकानेर से एक विधायक सिद्धिकुमारी का मुख्यमंत्री से पारिवारिक सा नाता है। लेकिन खुद सिद्धिकुमारी अपने क्षेत्र की जनता के वोट को अपने हक से ज्यादा नहीं समझती। लगभग आठ वर्ष से विधायक हैं, तीन वर्ष से पार्टी की सरकार है लेकिन क्षेत्र के लिए कोई उल्लेखनीय काम वह गिनवा नहीं सकतीं। बाज दफे तो वे यहां रहती ही नहीं हैं। रहती भी हैं तो उनसे मिलना संभव नहीं। वे खुद चाहें तो उन्हीं से मिलती हैं जिनसे मिलना होता है। बावजूद इसके कभी-कभार के यहां के प्रवास में मीडिया उन्हें सुर्खियां देने से नहीं चूकता। इस बाजारू युग में मीडिया के सरोकार बदल गये हैं। मीडिया जनता की आवाज बनने की बजाय नेताओं और विज्ञापनदाताओं का भोंपू होता जा रहा है।
ऐसी सी स्थिति सांसद और केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल की है। वह अभी यह ही तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें क्षेत्र की आम जनता के लिए क्या काम करने हैं। जबकि वे उस हैसियत को हासिल कर चुके हैं जिसमें क्षेत्र के लिए वे कुछ उल्लेखनीय कार्य कर सकें। गिनाने को वे कहेंगे कि हमने एक सवारी गाड़ी का नाम बदलवा दिया, लेकिन पूछें कि इससे क्षेत्र की जनता को क्या लाभ हुआ तो शायद बगलें झांकने लगेंगे।
इस सप्ताह मंत्री महोदय अपने क्षेत्र में ही थे। पत्रकारों के हवाई सेवा संबंधी सबसे आसान सवाल पर इस बार फिर उन्होंने नई तारीख दे दी है। मीडिया में हवाई सेवा की बात इस तरह होती है जैसे इस शहर के अधिकांश बाशिन्दे इस सेवा से कृतार्थ होने वाले हैं। कोई सुविधा शुरू हो इससे 'विनायक' को कतई एतराज नहीं है लेकिन जनप्रतिनिधियों और मीडिया वालों को उन सुविधाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए जो व्यावहारिक हो और जिनसे क्षेत्र के अधिकांश लोग लाभान्वित होते हों। अर्जुन मेघवाल नोखा गये तो वहां के बाशिन्दों की लम्बे समय से चली आ रही उस इच्छा को हवा दे आए जो व्यावहारिक नहीं है। वे नोखा-सुजानगढ़ के बीच लगभग 120 किमी. की रेल लाइन डलवाने का आश्वासन दे आए, जबकि इसे रेलवे आर्थिक तौर पर व्यावहारिक नहीं मानती है। यद्यपि ऐसी ही जरूरत सूबे में बांसवाड़ा क्षेत्र के लोगों की है। सूबे का यह आदिवासी क्षेत्र आजादी बाद से ही रेल सेवा से पूरी तरह वंचित रहा। रेलवे का तर्क था कि आर्थिक हिसाब से यह घाटे का सौदा है। पिछली अशोक गहलोत सरकार ने इसे जरूरी समझा और पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाने की शर्त पर रेलवे से यह परियोजना मंजूर करवा ली। क्या अर्जुन मेघवाल इस स्थिति के लिए तैयार हैं। कोशिश तो उन्हें पुष्कर-मेड़ता सिटी रेल मार्ग की करनी चाहिए जिसका सर्वाधिक लाभ उनके बीकानेर क्षेत्र को होने वाला है। कुल 60 किमी के इस रेल मार्ग के बनने में कई अनुकूलताएं है। रेल लाइन का यह टुकड़ा डलने से पुष्कर जैसा विश्व प्रसिद्ध तीर्थ पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर से सीधे जुड़ता है, इन प्रदेशों से वाया अजमेर उदयपुर और मध्यप्रदेश के मालवा होकर दक्षिण की ओर जाने वाली गाडिय़ां बीकानेर होकर जा सकती हैं। अजमेर के सांसद सचिन पायलट की भी इस परियोजना में रुचि है। अशोक गहलोत और मानिकचन्द सुराना जैसी राजनीतिक चतुराई करते हुए अर्जुन मेघवाल क्यों नहीं सचिन पायलट का सहयोग इस परियोजना के लिए लें।
अलावा इसके यहां के रेलवे वर्कशॉप और लोको शेड का नवीनीकरण हो जाने पर क्षेत्र के हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पुन: जुड़ सकते हैं। मेघवाल क्यों नहीं इसके लिए प्रयास करते हैं। रहा कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का मामला तो राज्य सरकार इसके लिए एलिवेटेड रोड बनाने की घोषणा कर चुकी है और केन्द्र का सड़क परिवहन मंत्रालय धन देने की हामी भर चुका है। बावजूद इस सब के इसमें ढिलाई क्यों हो रही है। सरकार चाहे तो आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व इसे पूर्ण करवाकर शहर की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के लिए फिर से पक्की कर सकती है। विधायक सिद्धिकुमारी ने अपने क्षेत्र के लिए पिछले आठ वर्षों में और कुछ भले ही ना किया हो पर कम से कम इस एलिवेटेड रोड परियोजना के पीछे लग कर वह अपने क्षेत्र की जनता को बड़ी राहत दिला सकती हैं। विधायक गोपाल जोशी भी इसमें पूरा सहयोग करेंगे यह भरोसा करना चाहिए। क्योंकि यह एलिवेटेड रोड बीकानेर पश्चिम और पूर्व विधानसभा क्षेत्रों के बाशिन्दों के लिए समान रूप से  राहत देने वाली होगी।

15 सितम्बर, 2016

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