Saturday, July 23, 2016

सार्वजनिक धन की निगरानी/देश में घटित अपूर्व घटनाएं

बीकानेर के जिला कलक्टर ने मंगलवार को 3 घंटे यानी 180 मिनट में शहर की विभिन्न दिशाओं में चल रहे 18 विकास कार्यों का निरीक्षण किया। यानी एक कार्य को वे मात्र 10 मिनट ही दे पाये, जिसमें एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का समय भी शामिल है। यह स्थान है--नगर विकास न्यास कार्यालय, राजीव गांधी मार्ग, पुरानी जेल का भूखण्ड, मोहता सराय, उस्ता बारी बाहर का नाला, एम एम ग्राउण्ड क्षेत्र, पूगल रोड सब्जी मंडी क्षेत्र, मुक्ता प्रसाद कॉलोनी तथा उसकी लिंक रोड, गजनेर रोड रेल ओवरब्रिज क्षेत्र, सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के आगे की सड़क और गांधी नगर स्थित राजस्व भवन।
राज्य सरकार ने जिला कलक्टर के निमित्त जितनी जिम्मेदारियां तय की हैं उसमें एक पदासीन व्यक्ति शायद इससे ज्यादा सम्भव भी नहीं कर पायेगा। यह तो हुई सरकार की बात कि उसे अपने प्रशासन का पुनर्गठन करना चाहिए ताकि जिम्मेदारियां व्यावहारिक रूप में विकेन्द्रित हो सकें।
अब बात करेंगे नागरिक जिम्मेदारी की। यह सब काम जो हो रहे हैं उन सब में प्रत्येक नागरिक का पैसा लगता है जो विभिन्न रूपों में सरकार सबसे वसूलती है या फिर यह योजनाएं ॠण लेकर पूरी होती है। उस स्थिति में विचार करें कि जब कर्जे के आंकड़े आते हैं तो साथ में यह जानकारी भी आती है कि प्रत्येक व्यक्ति पर कितना कर्जा है। और कर्जा है तो चुकाना भी प्रत्येक नागरिक को या उसके वारिस को कभी ना कभी पड़ेगा ही।
इसलिए प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि अपने सामने हो रहे काम में कमी की या पैसे के दुरुपयोग की सिर्फ आपस में ही बात करें। एक पोस्टकार्ड उस बाबत जिला कलक्टर को लिखें और दूसराविनायकको। विनायक उसे प्रकाशित करेगा।
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देश में इस समय कुछ कुछ ऐसा घटित हो रहा है जो आजादी के 64 वर्षों में नहीं हुआ।
--भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आन्दोलन ने संसदीय इतिहास में नये मानक और परम्पराएं स्थापित की।
--मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में हलफनामा दायर करने का आठ सप्ताह का समय देते हुए केन्द्र और तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि क्षमायाचना याचिका पर 11 साल क्यों लग गये। राष्ट्रपति द्वारा क्षमायाचना पर निर्णय देने के बाद कोर्ट के दखल की यह पहली घटना है।
मानवीय आधार पर विचार करें तो मृत्युदण्ड घोर अमानवीय है। दुनिया के आधे देशों में मृत्युदण्ड या तो समाप्त हो गया या फिर वहां की न्याय व्यवस्था ने अघोषित रूप से मृत्युदण्ड देना बन्द कर दिया है।
भारत में भी मृत्युदण्ड के खिलाफ आवाजें दिनोदिन बढ़ती जा रही है, जो उचित ही है।
राजीव गांधी की हत्या में मृत्युदण्ड पाये तीनों व्यक्तियों को जेल में न्याय का इन्तजार करते 20 साल हो गये हैं।
भारतीय न्यायप्रक्रिया में देरी पर भी असंतोष अब मुखर होने लगा है। सरकार भी अब सचेत है और इसका उपाय खोजने में लगी है। विधि मंत्री रहते हुए विरप्पा मोइली ने इस पर काफी काम किया है। सलमान खुर्शीद से यह उम्मीद की जाती है कि इसे जल्द ही परिणाम तक पहुंचायेंगे।

वर्ष 1, अंक 10, बुधवार, 31 अगस्त, 2011

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