Saturday, July 23, 2016

अन्ना आन्दोलन का नवाँ दिन

अन्ना के अनशन का आज नौवां दिन है। जिस गति से अन्ना का वज़न कम हो रहा है, वह चिन्ता की बात है लेकिन सुखद यह है कि अन्ना के वज़न घटने की गति से कई गुना ज्यादा गति से सरकार का वज़न गिर रहा है।
पता नहीं क्यों सरकार को यह समझने में देर लगी कि जो मुद्दे राजनीतिक सूझ-बूझ से निबटाने होते हैं, उन्हें अफसराना हेकड़ी से नहीं निबटाया जा सकता--कपिल सिब्बल की टीम अब तक यही कर रही थी।
सरकार और अन्ना टीम के बीच अब असहमति के तीन बिन्दु रह गये हैं--
टीम अन्ना चाहती है कि लोकपाल के दायरे में सभी स्तर के कर्मचारियों और अफसरों को लाया जाय। इस मुद्दे पर टीम अन्ना को व्यावहारिक तौर पर गहराई से विचार करना चाहिए। इससे लोकपाल का दायरा संख्यात्मक रूप से बहुत बड़ा और भारी भरकम हो जायेगा। वर्तमान व्यवस्था में जो विसंगतियां हैं वही विसंगतियां लोकपाल में भी आने की आशंकाएं बढ़ जायेंगी।
वैसे भी लोक में कहावत है किजैसा राजा वैसी प्रजा यानी ऊपरी व्यवस्था सुधरेगी तो नीचे के अफसर, कर्मचारी अपने आप सुधरने लगेंगे। अभी जो भयमुक्त भ्रष्टाचार पूरी व्यवस्था में गया है उसका एक बड़ा कारण हमारे नेता और बड़े अफसरों का भ्रष्ट होना भी है।
दूसरे बिन्दू में वे चाहते हैं कि लोकपाल के राज्यों के लोकायुक्तों की नियुक्ति एक साथ हो। यह मुद्दा भी टीम अन्ना के लिए अड़ने वाला नहीं होना चाहिए। देश में राज व्यवस्था संघीय ढांचे के अन्तर्गत शासन कर रही है। लोकतंत्र में सत्ता के विकेन्द्रीकरण के हिसाब से यह व्यावहारिक भी है। केन्द्र यदि राज्यों के लोकायुक्त वाला कानून बनाता है तो हमारे देश में 28 राज्य हैं और उनमें से कईयों को इससे एतराज़ भी होगा जो संघीय ढांचे के लिए उचित नहीं होगा। अन्ना ने जो अलख जगाई है उस पर टीम अन्ना को भरोसा होना चाहिए कि उसी अलख की रोशनी में सभी राज्यों की जनता लोकायुक्त की नियुक्ति सम्भव करवा लेगी।
असहमति के तीसरे बिन्दु पर टीम अन्ना से पूरी तरह सहमत हैं कि हर कार्य के पूर्ण होने की केवल अवधि तय की जाय बल्कि कार्य की गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। कार्य में देरी और गुणवत्ता में कमी पाये जाने पर आर्थिक दण्ड का प्रावधान जरूरी है।
अन्ना का स्वास्थ्य चिन्ताजनक है, किडनी में संक्रमण के संकेत मिले हैं और लीवर में संक्रमण की सम्भावना डाक्टरों द्वारा व्यक्त की गई है, उम्मीद करते हैं कि यह अंक जब तक आपके हाथों में होगा--कोई सुखद सूचना रेडियो/टीवी के माध्यम से आप तक पहुँचेगी।


आज सूर्योदय के पहले से ही शहर बादलों से घिरा हुआ है। कभी फुहार और कभी हलकी बूंदाबांदी से शहर तर है। साल के 365 दिन में ऐसे आनन्ददायक क्षण 5 से 10 दिन ही आते हैं, थोड़े समय के लिए ही सही, रोजमर्रा के तमाम झंझटों से मुक्त होने का प्रयास करें--जीवन के लिए यह भी जरूरी है।

वर्ष 1, अंक 4, बुधवार, 24 अगस्त, 2011

No comments: