बीकानेर के सांसद
अर्जुनराम मेघवाल को राज्यमंत्री का दर्जा दे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर
लिया गया है। सांसद के रूप में मेघवाल का यह दूसरा कार्यकाल है। पहले कार्यकाल में
कुछ ना कर पाने की छूट उन्होंने इस बिना पर हासिल कर ली थी कि सरकार उनकी पार्टी
की नहीं थी। इस बार जब जीत कर गए तो लगा कि बीकानेर क्षेत्र को केन्द्रीय
मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी,
मिली भी लेकिन
संभाग से चुने नुमाइंदे, श्रीगंगानगर
सांसद निहालचन्द मेघवाल को। कहते हैं तब अर्जुनराम का नरेन्द्र मोदी से पुराना
उथला आड़े आ गया।
अर्जुनराम को यह अटकल है
कि वे बिना कुछ किए चर्चा में रहते हैं। इन सात वर्षों में उन्होंने इस अटकल का
भरपूर उपयोग किया। अपने क्षेत्र की आम जनता के वास्ते कुछ करने की दृष्टिहीनता और
करवाने की कूवत मेघवाल में शायद हो ही ना। तभी वे कभी अच्छे सांसद का सम्मान लपकते हैं तो कभी संसद सत्रों के दौरान अपने दिल्ली आवास से थोड़ी दूर पर ही
स्थित संसद भवन तक साइकिल पर जाकर सुर्खी पाते हैं। मेघवाल की पहली सांसदी का
जिक्र ना भी करें तो इस बार अपनी पार्टी की सरकार के रहते बीकानेर से चुनाव जीत
उन्हें गए को दो वर्ष से भी ज्यादा समय हो गया है, कह सकते हैं लगभग आधा कार्यकाल पूरा कर लिया है, बावजूद इसके उनके
पास अपने संसदीय क्षेत्र के लिए गिनवाने को एक भी उल्लेखनीय काम नहीं है। गद्-गद्
होने वाले तो सांसद के मुस्कुरा कर उनसे बात कर लेने भर से पोंपाए घूमते मिल
जाएंगे।
अब जब मेघवाल वित्त और
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री होकर बाकायदा सरकार का हिस्सा हो गये
हैं, ऐसे में कुछ ना
कर पाने का बहाना कैसे बनाएंगे। यद्यपि अरुण जेटली जैसे उच्च-भू्र नेता के
मंत्रालय में राज्यमंत्री होना अपने बूते कुछ कर दिखाने की गुंजाइश नहीं छोड़ता।
फिर भी इस मंत्रालय का टैग ही ऐसा है कि अन्य मंत्रालयों से अपने क्षेत्र से
संबंधित काम वे आसानी से करवा सकते हैं। इसके लिए करने की दृष्टि और करवाने की
चतुराई भर की जरूरत है।
मंत्री पद संभालने के बाद
मेघवाल ने बीकानेर शहर की सबसे बड़ी आम जरूरत एलिवेटेड रोड और समर्थ वर्ग हेतु
हवाई सेवा शीघ्र शुरू करवाने की बात की है। 2018 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यदि
एलिवेटेड रोड बनकर आवागमन शुरू हो जाता है तो हो सकता है शहर की दोनोंं विधानसभा
सीटें तीसरी बार भाजपा की झोली में आ जाएं। ऐसा यदि होता है तो मेघवाल प्रकारांतर
से पार्टी के प्रति अपना एक दायित्व ही पूरा कर रहे होंगे। अलावा इसके यदि वे
पिछले सात वर्षों की अकर्मण्यता को बचे ढाई वर्षों में धोना चाहते हैं तो नीचे
सुझाए गए काम वित्त राज्यमंत्री रहते उनके लिए करवाना बहुत मुश्किल नहीं होगा।
—बीकानेर लोकसभा क्षेत्र मुख्यत: ग्रामीण है और यह बात जाहिर
है कि ग्रामीणों को सुकून देने वाली केन्द्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं सततï क्रियाशील हैं।
समस्या भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता की है। इन सभी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को
अधिकतम मिले इसके लिए न अतिरिक्त वित्तीय संसााधन जुटाने की जरूरत है और ना ही
किसी नये सरकारी अमले की। मेघवाल अपने इस प्रभावी पद की धमक भर से ही अपने क्षेत्र
की अवाम को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए ऐसी योजनाओं की सूक्ष्म निगरानी का सिस्टम
वर्तमान ढांचे में ही विकसित करके साठ-सत्तर प्रतिशत तक काम पुख्ता व आसानी से
करवा सकते हैं। यदि वे ऐसा करवा पाते हैं तो बिना हींग फिटकरी लगे चोखा रंग आने का
देश में अकेला उदाहरण होगा। और यह भी कि जिस दलित समुदाय के उच्च वर्ग से
अर्जुनराम आते हैं उसी दलित समुदाय के अन्य निम्न वर्ग जो इस क्षेत्र में ठीक
स्थिति में नहीं हैं। हो सकता है उनका जीवन स्तर केन्द्र और राज्य सरकार की इन
योजनाओं की पारंगत क्रियान्विति से कुछ बेहतर बन सके। ऐसा यदि वे कर पाते हैंं तो
अपनी व्यापक बिरादरी से उऋण होने की ओर भी वे अग्रसर होंगे। जरूरत बस इच्छाशक्ति
की ही है और मेघवाल चाहें तो हिये की हेकड़ी से ऐसा संभव कर सकते हैं।
—बीकानेर के लिए पूर्व में घोषित सिलीकॉन वैली प्रोजेक्ट की
उन्हें समीक्षा करवानी चाहिए और यह व्यावहारिक हो तो इसे केन्द्र सरकार द्वारा
आहूत 'मेक इन इण्डियाÓ के अन्तर्गत अमली
जामा पहनवाना चाहिए। हालांकि यह घोषणा राज्य सरकार की रही है लेकिन वित्त मंत्रालय
में उनके रहते इसे केन्द्र के साये में लेना मुश्किल नहीं होगा। इससे होगा यह कि
यहां के पढ़े-लिखे युवकों को क्षेत्र में न केवल रोजगार के अवसर मिल जाएंगे बल्कि
यहां शुरू होने वाले तकनीकी विश्वविद्यालय को शोध के नये आयाम भी मिलेंगे।
—भारतीय रेल का लगातार विस्तार हो रहा है और यह ऐसी सेवा है
जो रुकने वाली नहीं है। ऐसे में इसके पूरक प्रकल्पों की जरूरत लगातार बढ़ेगी।
बीकानेर रेलवे वर्कशॉप का आधारभूत ढांचा पुख्ता है। ऐसे में क्यों ना इसका
कायाकल्प करके उसे बड़ा काम करने के योग्य बनाया जाए ताकि सामान्य और निम्न वर्ग
के युवाओं को क्षेत्र में ही रोजगार मिल सके। यदि ऐसा होता है तो इस क्षेत्र के
लिए बड़ा और स्थाई काम होगा।
अलावा इसके रेलवे से
संबंधित दो महत्त्वपूर्ण काम हैं जिन्हें रेलवे मंत्रालय से उन्हें चतुराई बरत कर
करवा लेने चाहिए—पहला मेड़ता
सिटी-पुष्कर रेल लाइन डलवाने का। मात्र साठ किलोमीटर की इस रेललाइन के लिए सर्वे
हो चुका है। इस छोटे से काम का सर्वाधिक लाभ उन्हीं के बीकानेर संसदीय क्षेत्र को
होने वाला है। इसके माध्यम से पंजाब और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र वाया बीकानेर न केवल
सीधे अजमेर-मेवाड़ से जुड़ जायेगा बल्कि वाया दिल्ली टै्रक की अति व्यस्तता के बाद
मध्यप्रदेश के मालवा जैसे समृद्ध क्षेत्र से होकर दक्षिण को जाने वाली रेलगाडिय़ों
का आवागमन इसी मार्ग से होने लगेगा। दूसरा यह कि मेड़ता रोड पर बने बीकानेर फुलेरा
बाईपास पर एक हॉल्ट स्टेशन बनना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो न केवल जयपुर की ओर
आने-जाने वाली गाडिय़ां लाभान्वित होंगी बल्कि मेड़ता सिटी-पुष्कर रेललाइन डलने के
बाद भविष्य में इस मार्ग पर चलने वाली रेलगाडिय़ों का समय भी बचेगा।
यह तो हुई विकास की बात, अब क्षेत्रीय
राजनीति की बात भी कर लें। मेघवाल इस अवसर को अधिकतम भुना पाते हैं तो हो सकता है
उन्हें शासन में इससे भी ऊपर की जिम्मेदारी मिल जाए। इसके लिए कम से कम स्थानीय
स्तर पर छोटे-छोटे अहम से उन्हें मुक्त होना होगा। पार्टी में क्षेत्र के जिन दो
दिग्गजों से उनका छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है उनमें से समयानुभव के आधार पर
आंकें तो गोपाल जोशी उनसे सात गुने और देवीसिंह भाटी पांच गुना वरिष्ठ हैं। अलावा
इसके यह भी मान लेते हैं कि उच्च जाति वर्ग से आने वाले इन दोनों नेताओं में कुछ
जातीय दम्भ भी होगा, बावजूद इन सबके
सामंजस्य और सौजन्य की गुंजाइश यह भी रखते ही होंगे। क्योंकि वे एक लोकतांत्रिक
व्यवस्था में राजनीति कर रहे हैं। अपने लिए न सही क्षेत्र के निर्बाध विकास और
अवाम को लाभान्वित करने के ही मकसद से सही—अर्जुनराम को इस अहम उपलब्धि के बाद अपने आप को लचीला बना
लेना चाहिए। टकराव कोई हैं भी तो अहम् के होंगे या स्थानीय स्तर की राजनीति के, जिन्हें डायलूट
करना बहुत मुश्किल नहीं होता है। वह भी तब-जब कोई शिखर की ओर बढ़ चला हो।
7 जुलाई, 2016
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