Thursday, May 19, 2016

पांच प्रदेशों के नतीजे और 'कांग्रेसमुक्त' होता भारत

लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों में व्यवस्था को विशेष अन्तराल के बाद चुनावों के माध्यम से कसौटी से गुजरना होता है। हां, यह जरूर है कि इस कसौटी की कारगरता उसे परोटने वाले समूह के प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। भारतीय मतदाता के सन्दर्भ में बात करें तो ऊब के साथ वह पार्टी समूह को बदल तो देती है लेकिन अपने अनुकूल किसी नई पार्टी या गैर पार्टी समूह को खड़ा करने में वह प्रशिक्षित नहीं हुआ है। यही कारण है कि वह एक पार्टी या समूह विशेष से ऊब कर दूसरे समूह को लाता तो है पर अगली बार पुन: उन्हें ही लौटा लाता है जिन्हें पिछली बार खारिज कर दिया था। मतदाता को इसका भान ही नहीं कि शासन में आने वाला हर समूह पिछली बार से बदतर साबित होता है। अब तो चुनावी सफलता इस पर भी निर्भर करने लगी है कि कौन सा समूह मतदाता को ज्यादा बरगला या भ्रमित कर सकता है।
पांच प्रदेशों के चुनावी नतीजे आज आ रहे हैं। चुनावी सर्वे की बात करें तो पहले के मतदान पूर्व के सर्वे हों या मतदान बाद केडॉ. छगन मोहता द्वारा दी जानी वाली एक उपमा से समझें तो इनकी समय कटाई पानी मथने से ज्यादा नहीं। कभी किसी एजेन्सी के सर्वे का तुक्का लग भी गया तो उसे संभावना सिद्धान्त के अनुसार ले सकते हैं जिसमें कहा जा जाता है कि 100 सिक्के उछालोगे तो आधे चित गिरेंगे और आधे पट।
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुच्चेरी में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आज आ रहे हैं। पुडुच्चेरी को छोड़ दें तो शेष चारों विधानसभा चुनावों के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाले माने जा सकते हैं।
केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में कहने को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और राज्य सभा में अल्पमत के चलते मन की ना कर पाने को विवश है। इन पांचों विधानसभा चुनावों के नतीजों से राज्यसभा में राजग अपनी स्थिति में कुछ सुधार तो करेगा लेकिन सुविधाजनक बहुमत इसके बाद भी हासिल नहीं कर पायेगा। असम में मतगणना का रुझान जरूर भाजपा की इज्जत बचाने वाला है लेकिन शेष चारों जगह वह सीटों के रूप में कुछ खास इजाफा करती नहीं दीख रही। हो सकता है अधिकांश सीटों पर चुनाव लडऩे के चलते वोट प्रतिशत के आंकड़ों में बढ़ोतरी कुछ तसल्लीबख्श हो।
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से गठबंधन के बाद वामपंथियों को कुछ उम्मीद बंधी थी लेकिन नतीजे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तूणमूल कांग्रेस को पिछली बार से भी कुछ ज्यादा ताकतवर दिखा रहे हैं। वहीं केरल में कांग्रेस गठबंधन की सरकार को जनता ने नकारा और वापस वामपंथी गठबंधन को शासन सौंपने का मन बना लिया है।
तमिलनाडु के कयास यही थे कि द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन अन्नाद्रमुक सुप्रिमो जयललिता को अपदस्थ कर देगा लेकिन ऐसे कयास धरे रह गये। असम में भाजपा ने जिस तरह की बढ़त बनाई है वह आश्चर्यजनक है। वहां 15 वर्ष से राज कर रही कांग्रेस को मतदाता ने ठीक-ठाक सलटा दिया।
जैसे रुझान आ रहे हैं उम्मीद है नतीजें लगभग वैसे ही रहेंगे। ऐसे में कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का कारण होने चाहिए। दिल्ली-बिहार की विधानसभाओं में हार के बाद असम के नतीजे भाजपा के लिए जी को जमाने वाले भले ही हों, चैन की बंशी वाले नहीं कहे जा सकते।
ढलान में लगातार लुढ़कती कांग्रेस कुछ संभलने का जतन तो दूर विचारती भी नहीं लग रही है। असम, केरल और पुडुच्चेरी की सरकारें चली गईं, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में वामपंथ-द्रमुक की पूंछ पकड़ चुनावी वैतरणी पार नहीं कर पायी। बंगाल के नतीजे तो यह बता रहे हैं कि वामपंथियों से ज्यादा सीटें हासिल कर कामधेनु की भूमिका में बजाय वामपंथियों के कांग्रेस आ गई है। आश्चर्यजनक ढंग से वहां कांग्रेस की सीटें ज्यादा आ रही है। लगता यही है कि कांग्रेस राहुल नेतृत्व में बिल्ली बन कर छींका टूटने का इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं कर रही है। कांग्रेस को नहीं पता ऐसे में कभी छींका टूटेगा भी तो वह इस गत को हासिल हो लेगी कि उसके लिए जीमने की बात तो दूर पास तक नहीं फटक पायेगी।
कांग्रेसमुक्त भारत का नारा भले ही नरेन्द्र मोदी ने दिया हो लेकिन भारत को मुक्त कांग्रेस अपने लखणों से खुद करती दीख रही है। परिस्थितियां कुछ ऐसी बन जाए तो बात अलग है अन्यथा वर्तमान कांग्रेस अपने बूते राष्ट्रीय स्तर पर कुछ कर पायेगी, कहना मुश्किल है। हां, राहुल खुद हाथ ऊंचे कर अलग हो जाएं और कांग्रेस में लोकतांत्रिक कायाकल्प के माध्यम से कोई नया नेतृत्व ऊभरे तो अभी भी गुंजाइश है कि वह कुछ हासिल कर पाये। हो सकता है ममता बनर्जी, शरद पंवार जैसे क्षत्रप, जो कांग्रेस से अलग हो लिए हैं, लौट आएं। अब भी यदि राहुल को नाकारा मानने की बात कांग्रेस में नहीं होती है तो मान लेना चाहिए कि वह कुछ क्षेत्रों की पार्टी भले ही रह जाए, राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पहचान पुन: हासिल करना उसके लिए मुश्किलतर ही है।

19 मई, 2016

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