Thursday, January 21, 2016

सरकार! पुलिस महकमें में इतना सुधारा तो हो/ बीकानेर के शहरी थानों का पुनर्सीमांकन जरूरी

पुलिस महकमें में सुधार की बातें और जरूरतें जब-तब बखानी जाती रही हैं। कई कमेटियां व आयोग बने, उनके सुझाव और रिपोर्टें बर्फ में इसलिए लगाई जाती रही कि जिन्हें इस महकमें के लिए कुछ करना है, उन राजनेताओं को इन सुझावों से अपनी ताकत कम होने का भय दीखने लगता है। कहा जाता है कि इस महकमें के लकवाग्रस्त होने के सर्वाधिक जिम्मेदार कोई है तो राजनीतिक हस्तक्षेप और राजनेताओं के चंगुल में इसका फंसे होना है। आजादी बाद शुरू के वर्षों में अधिकतर कांग्रेस इसका इस्तेमाल करती रही। पिछली सदी के आठवें दशक के बाद आई गैर कांग्रेसी सरकारों के ढंगढाळे भी वैसे ही रहे जैसे कांग्रेस के थे। सरकारों की अदला-बदली से पहले तो पुलिस महकमा चकबम्ब रहा लेकिन धीरे-धीरे वह भी सभी पार्टियों के राजनेताओं को उनके माजने अनुसार परोटना सीख गया।
इस महकमें को इस सबसे कभी मुक्ति मिलेगी और आमजन को वह बिना राग-द्वेष के अपनी नैष्ठिक सेवाएं देने की स्थिति में आ पाएगा इसके आसार फिलहाल दूर-दूर तक नहीं दिखते। क्योंकि इसके लिए पूरी तरह बदली राजनीतिक तासीर की जरूरत होगी। वैसे सुधार की कुछ गुंजाइश अन्ना आन्दोलन से टिमटिमाई जरूर थी लेकिन अनुगामी और सहयोगी अरविन्द केजरीवाल जिस ढंग से राज और राजनीति को हांक रहे हैं उनसे उम्मीदें काफूर ही हुई हैं।
बावजूद इस सबके इस महकमें में प्रशासनिक स्तर पर कुछ सुधारों की जरूरत महसूस की जाती रही है। सरकार सरकार चाहे तो प्रदेश स्तर पर इस महकमें में ही एक अलग अनुभाग बनाकर स्थानान्तरण, समानीकरण व नये थानों की जरूरत और थाना क्षेत्रों के पुनर्सीमांकन की गुंजाइश की पड़ताल लगातार करवाकर इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया जारी रख सकती है।
बीकानेर शहर और सदर के सन्दर्भ से ही बात करें तो इनके थानों के पुनर्सीमांकन की सख्त जरूरत है। सरकार 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर शहर में होगी और इस तरह के काम में कोई बड़ी पेचीदगी इसलिए भी नहीं है कि इसमें धन की कोई खास जरूरत नहीं होगी।
'विनायक' के पाठकों से कुछ थाना क्षेत्रों की विसंगतियां और सुधार यहां साझा करें तो खुद उन्हें लगेगा कि इससे न केवल यहां के बाशिन्दों को राहत मिलेगी बल्कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने में भी चाक-चौबन्दी बढ़ेगी।
सबसे ज्यादा जिन दो शहरी थानों के पुनर्सीमांकन की जरूरत है उनमें गंगाशहर और नयाशहर थानों के इलाके हैं। उसके बाद बीछवाल, सदर और जयनारायण व्यास कॉलोनी थाना क्षेत्रों में परिवर्तन जरूरी लगते हैं।
गंगाशहर थाने के छोटा रानीसरबास, कादरी कॉलोनी, जनता प्याऊ, बंगलानगर, रंगा कॉलोनी व मुरलीधर व्यास कॉलोनी क्षेत्रों को नयाशहर थाने के अन्तर्गत लाया जाना चाहिए। इसी तरह कोटगेट थाना क्षेत्र के रानी बाजार इंडस्ट्रियल एरिया के रोड नम्बर पांच के इर्द-गिर्द क्षेत्र को गंगाशहर थाना क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए।
वहीं रामपुरा, मुक्ताप्रसाद कॉलोनी क्षेत्र में नये थाने के सृजन की जरूरत है, जिसकी सीमा पूगल रोड के पूर्वी हिस्से तक रखी जा सकती है। शहर की यह सबसे बड़ी बसावट जिस तरह अपराध का अड्डा बनती जा रही है उसे देखते हुए यह जरूरी भी है। इस नये सृजित थाने में सदर थाना क्षेत्र का सुभाषपुरा वाला पूरा हिस्सा शामिल किया जा सकता है। बीछवाल थाने के एकदम असंगत इलाकोंबजरंगधोरा, इंजीनियरिंग कॉलेज, ख्वाजा कॉलोनी को इस नये सृजित थाने के अंतर्गत लिया जावे। बीछवाल थाना क्षेत्र के समतानगर, गांधी कॉलोनी, करणीनगर, रोडवेज बस अड्डा और इन्द्रा कॉलोनी आदि सभी अब घनी आबादी क्षेत्र बन चुके हैं। अत: इन इलाकों को वहां के बाशिन्दों की सुविधा और कानून-व्यवस्था के मद्देनजर सदर थाना क्षेत्र में शामिल किया जाना जरूरी लगता है।
बीकानेर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर उत्तरी हिस्से के सांगलपुरा से सोफिया स्कूल तक के हिस्से को जयनारायण व्यास कॉलोनी थाना क्षेत्र में शामिल किया जाना तार्किक है। यह इलाके फिलहाल सदर थाना क्षेत्र में आते हैं। इसी तरह इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर रायसर गांव तक के क्षेत्र को भी नापासर थाने से हटाकर जयनारायण व्यास कॉलोनी थाना क्षेत्र में शामिल करना इस मार्ग पर तेजी से बढ़ रही रिहाइशी कॉलोनियों के बाशिन्दों के लिए सुविधाजनक होगा। यातायात थाना व आदर्श कॉलोनी के छोटे हिस्से को संतुलन के लिए व्यास कॉलोनी थाना क्षेत्र से हटाकर कोटगेट थाना क्षेत्र में शामिल किया जा सकता है।
ऐसे किंचित लेकिन जरूरी परिवर्तनों पर न तो चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने सुध ली और न ही सरकार ने। सून को हासिल जनता इन क्षेत्रीय विसंगतियों को भुगतती तो रहती है, पता नहीं आवाज क्यों नहीं उठाती। सरकार और यहां से चुने और चुने जाने की आस में बैठे नेता क्या इस ओर भी ध्यान देंगे?

21 जनवरी, 2016