Friday, April 10, 2015

बीएसएनएल के बहाने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बात

बीकानेर के सांसद अर्जुन मेघवाल ने कल देशनोक में बीएसएनएल 3जी सेवा की विधिवत शुरुआत की। इस बीच देश में 4जी सेवाओं की बात होने लगी है। भारत दुनिया के उन देशों में है जहां मोबाइल सेवाओं के सर्वाधिक उपभोक्ता हैं। हर बड़ी कंपनी जब यहां बाजार बनाने में लगी है तब सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल लगातार पिछड़ रही है। जबकि आज केवल इसी के पास देश के कोने-कोने में आधारभूत ढांचा है। नई-नई आई कम्पनियां अपने सीमित साधनों के बावजूद बीएसएनएल से आगे निकले जा रही है। यह तो तब है जब इन्हें केवल जगह-जगह अपने कार्यालय स्थापित करने होते हैं बल्कि टावर लगाना और उनका रखरखाव करना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं। दूसरी ओर देश में ऐसा कोई ठीक-ठाक गांव नहीं जहां बीएसएनएल की अपनी जगह या भवन नहीं हो या उसका किसी स्तर का कर्मचारी वहां हो।
बावजूद इसके बीएसएनएल मोबाइल उपभोक्ता के आंकड़े में चौथे नम्बर पर उतर गई है। इस आंकड़े में सबसे ऊपर एयरटेल, दूसरे नम्बर पर वोडाफोन और दो साल पहले ही बीएसएनएल को चौथे नम्बर पर धकेल आइडिया ने तीसरे नम्बर पर कब्जा जमा लिया। रिलायंस जिसका कभी बीएसएनएल के बाद सबसे ज्यादा हौवा था आज पांचवें नम्बर पर है। रिलायंस ने इस क्षेत्र के बाजार में आने के कुछ समय बाद ही भरोसा खोकर साख गिरा ली थी जिसका खमियाजा यह समूह आज भी भुगत रहा है। तब यह चर्चा आम थी कि रिलायंस के बिलों में गड़बड़ी होती है, सेवाएं भी बहुत अच्छी नहीं थी। जब उपभोक्ताओं ने रिलायंस कनेक्शन छोडऩे शुरू किए तो जमा सुरक्षा राशि को देने में कम्पनी बहुत जोर करवाने लगी। बहुत लोगों ने तो उम्मीद ही छोड़ दी। कहा जाता है सुरक्षा राशि के रूप में रिलायंस के पास उपभोक्ताओं की मोटी रकम आज भी जमा है। यही वजह है कि रिलायंस बाजार में जमने के लिए आज भी पगपीटे कर रही है।
इसका उल्लेख यह बताने के लिए किया गया है कि ऐसी साख के बावजूद रिलायंस इस वर्ष बीएसएनएल को पछाड़ सकती है यानी देश में सबसे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर वाली बीएसएनएल मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या के आंकड़े में पांचवें नम्बर पर जा सकती है। हालांकि वायरलाइन या जिसे लैण्डलाइन टेलिफोन सेवा से भी जान सकते हैं, के मामले में बीएसएनएल अभी भी देश में नम्बर एक है। लेकिन इसकी उपभोक्ता संख्या जिस गति से लगातार गिर रही है उसे देखते हुए कम्पनी इस सेवा को कितने' वर्ष जारी रख पायेगी, कह नहीं सकते। ब्रॉडबैंड सेवाओं में एकाधिकार के चलते यह वायर लाइन सेवा ही अब बीएसएनएल का मुख्य आधार मानी जाने लगी है। लेकिन निजी क्षेत्र की कम्पनियां अपनी अच्छी सेवाओं के आधार पर इन्टरनेट के इस क्षेत्र में भी लगातार बढ़त बना रही हैं। ऐसे में बीएसएनएल का अस्तित्व रह भी पाएगा, कह नहीं सकते। कहा तो यहां तक जा रहा है कि निजी क्षेत्र की कम्पनियां लगातार ऐसी करतूतों में संलग्न हैं कि बीएसएनएल की सेवाएं खराब रहें ताकि उपभोक्ता छिटककर उनकी ओर जाएं और ऐसा वे बीएसएनएल के कार्मिकों से संभव करवाते हैं। अगर ऐसा है तो 'जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करना हुआ।' मान लेते हैं ऐसा नहीं होगा। लेकिन तब इसकी नैतिक जवाबदेही बीएसएनएल कर्मचारियों-अधिकारियों की ही बनती है कि उनकी कम्पनी की साख लगातार क्यों गिरती जा रही है। मंत्रालय और मंत्री स्तर पर होने वाली साजिशों की बात यहां जानबूझ कर नहीं कर रहे हैं।
देश में सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के कार्मिकों को अनुकूल मानवीय सेवा शर्तों के साथ आज भी अच्छी तनख्वाहें मिलती है, लेकिन ऐसा कब तक संभव होगा। क्या अगली पीढ़ी को ऐसी नौकरियों की जरूरत नहीं जो हम इन कम्पनियों का भट्टा बैठने दे रहे हैं—'विनायक' का मानना है कि इन सरकारी क्षेत्र की कम्पनियों के अधिकारी-कर्मचारी अपनी ड्यूटी को धर्म की तरह निभाएं तो ये अपनी साख जल्द ही पुन: हासिल कर सकती हैं। हालांकि कुछ लोग इसी भावना से अब भी लगे हैं लेकिन साख इन कुछ से नहीं अधिकांश से लौटेगी। निजी क्षेत्र की कम्पनियों को जिस दिन लगेगा कि उनकी प्रतिस्पर्धा में सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां नहीं हैं उसी दिन से वे उपभोक्ताओं के बट निकालने में लग जायेंगी। अब भी समय है सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारी संघ और कर्मचारी संघ चेत जाएं अन्यथा समाज को सार्वजनीन शोषण के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि कॉरपोरेटपरस्त सरकारों के लिए तो इन उपक्रमों को बन्द करने या पीपीपी मोड में देने के लिए 'घाटे' का बहाना ही पर्याप्त है। कर्मचारी और अधिकारी तत्परता और ईमानदारी मन में धार लें तो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में घाटे की बात तो दूर मुनाफा इतना होने लगेगा कि सबकी बोलती बंद हो सकती है।

10 अप्रेल, 2015

1 comment:

Unknown said...

SMPADK JI BHUT ACHA AAP NE DESH HIT ME EK ACCHA NZREYA PES KEYA H KARMIK HI BHTTA BETHA RHE TO KIS PER VISVASKRE JANTA THANKS