Monday, March 23, 2015

मोहरसिंह के काम के मायने

जयनारायण व्यास कॉलोनी के सेक्टर तीन से शुरू होकर घर-घर कचरा संग्रहण का अभियान आस-पास के सेक्टरों तक फैल गया है। मोहरसिंह यादव द्वारा लगभग व्यक्तिगत तौर से शुरू किए गए इस अभियान को शुरुआत में क्षेत्र के लोगों ने अपनी-अपनी भावना से लिया,  सामान्यत: जैसा देखा-समझा जाता रहा है, उसी तर्ज पर यह माना गया कि मोहरसिंह वार्ड पार्षद का चुनाव लडऩा चाहते हैं, उनका यह 'पगफेरा' उसी का मांगा है। पेशे से विज्ञान के अध्यापक  मोहरसिंह ऐसी बातों पर  ध्यान नहीं देते थे। निगम के चुनाव आये तो उन्होंने ऐसे किसी प्रस्ताव की हामी भरी और ही कोई मंशा जताई। स्कूल में अध्यापन के समय के अलावा अपने खर्चे से खरीदे तिपहिया वाहन लेकर वे गली-गली पहुंचते और लाउडस्पीकर पर कचरा लाने का आह्वान करते हैं। बाशिन्दों ने धीरे-धीरे उनकी बात पर ध्यान देना शुरू किया और मोहरसिंह के कहे अनुसार पशु खाद्य को अलग और अन्य कचरे को घरों में अलग-अलग सहेजने लगे। मोहरसिंह की आवाज पर दो-दो कचरा पात्र लिए लोग अपने घरों के आगे खड़े नजर आने लगे। मोहरसिंह अपने वाहन पर दोनों तरह के कचरे के संग्रहण की अलग-अलग व्यवस्था रखते हैं और अलग-अलग स्थानों तक पहुंच कर खाद्य पदार्थों को पशुओं तक और शेष कचरे को उसके गंतव्य तक पहुंचाने का काम वे नियमित करते हैं। ऐसे काम बिना धुन के नहीं होते, मोहरसिंह जैसों की यह धुन दाद देने लायक है।
शहर की प्रतिष्ठ संस्था अजित फाउण्डेशन प्रतिवर्ष किसी ऐसे ही धुन के धनी को 'बीकानेर गौरव' सम्मान देकर अपने उद्देश्यों को सार्थक करती है। अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के अर्थशास्त्री प्रो. विजयशंकर व्यास अपने दिवंगत पुत्र की स्मृति में ऐसे आयोजन करते रहते हैं, प्रवासी हो जाने के बावजूद अपने शहर से उनका लगाव इस तरह झलकता है। फाउण्डेशन ने अब तक सोहनलाल मोदी, हरीश भादानी, नन्दकिशोर आचार्य, सकीना बेगम, स्वामी संवित् सोमगिरि, मगन बिस्सा, भवानीशंकर व्यास 'विनोद', डॉ. श्रीलाल मोहता, डॉ. एच.पी. व्यास आदि व्यक्तित्वों को 'बीकानेर गौरव' से प्रतिष्ठ किया है। इस वर्ष के  सम्मान के लिए मोहरसिंह का चयन किया गया जो जायज ही है। उम्मीद करते हैं मोहरसिंह अपनी इस धुन को बनाए रखेंगे।
लेकिन इस तरह की धुन का एक दूसरा पक्ष भी है। जो काम मोहरसिंह कर रहे हैं शासन प्रणाली में उसके लिए बाकायदा नगर निगम जैसा स्थानीय निकाय हैं जिसके केवल आय के अपने साधन हैं, बल्कि सरकारें भी जब तब ऐसे निगमों को भारी रकम के रूप में आर्थिक सहयोग करती है--इनके सुचारु संचालन के लिए वार्डवार पार्षद निर्वाचित होते हैं जिन पर शहर का निर्वाचित एक महापौर भी है--जिसे शहर का प्रथम नागरिक भी कहा और माना जाता है।
भ्रष्टाचार ने सरकारी व्यवस्था को जिस तरह पंगु बनाया उससे यह निगम और नगर विकास न्यास जैसे स्थानीय निकाय भी भला कैसे अछूते रहते जबकि नगर निगम का संचालन मोटामोट जनता द्वारा चुने हुए पार्षदों के बोर्ड के पास है। लेकिन हुआ क्या? कुछ अपवादों को छोड़ दें तो ये पार्षद गैंग के रूप में सक्रिय हैं। अकर्मण्य हुई निगम व्यवस्था को अब ठेके पर चलाया जाने लगा और पार्टियों से परे इन पार्षदों की सारी ऊर्जा इन ठेकों के माध्यम से धन हड़पने में लगी रहती है। जब जनता के चुने ये निगरान ही ऐसे हों तो निगम के कर्मचारी, अधिकारियों को लूट-खसोट से कौन रोक सकता है? नाकारा निगम के विकल्प के तौर पर मोहरसिंह जैसों को काम नहीं करने चाहिए--इस तरह यह गैंगस्टर अपनी ड्यूटी से मुक्त हो लेते हैं। असल में मोहरसिंह जैसों को करना यह चाहिए कि आमजन को जागरूक करें कि नगर निगम के पार्षदों, अधिकारियों और कर्मचारियों की यहां के बाशिन्दों के प्रति क्या ड्यूटीज हैं और यह भी कि यह सब अपनी-अपनी ड्यूटियों को मुस्तैदी से निभा रहे हैं कि नहीं, साथ में बाशिन्दों में नागरिक समझ पैदा करें कि उन्हें अपने गली-मोहल्लों को गन्दा नहीं करना चाहिए।  सार्वजनिक सम्पत्तियों की देख-भाल करने को भी सावचेत करना चाहिए। क्योंकि प्रकारान्तर से सभी तरह की सार्वजनिक सम्पत्तियों पर हक प्रत्येक नागरिक का ही है। प्रशंसनीय काम होने के बावजूद मोहरसिंह असल ड्यूटी वालों का काम केवल आसान कर रहे हैं बल्कि दूसरे तरह से उन्हें अकर्मण्य भ्रष्ट होने देने की अनुकूलता भी दे रहे हैं।
सांसद अर्जुनराम मेघवाल अपना सिट्टा सेकने की गरज से मोहरसिंह को पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाने ले गये। क्या सच में मोहरसिंह ने यह काम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर किया है? नहीं, उन्होंने मोदी के प्रधानमंत्री बनने से बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। मोहरसिंह को चाहिए कि ऐसे छोटे-छोटे सुखों के लिए किसी राजनीतिज्ञ का टूल बने। मेघवाल भी पद को भोगने के लिए सांसद बने हैं कि आम अवाम के लिए कुछ अनुकूलता देने के लिए।

23 मार्च, 2015

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