Friday, September 19, 2014

सीना छप्पन इंच का या छप्पन सेंटीमीटर का

कल से सोशल साइट्स पर चर्चा है कि पिछले चुनावी अभियानों में नरेन्द्र मोदी ने सीने की जिस चौड़ाई का जिक्र किया था वह इंच में था या सेंटीमीटर में। कुछ अति उत्साहियों ने यू-टयूब से लाकर उस भाषण की वीडियो क्लिप्स ही पोस्ट कर दी। वीडियो क्लिप में मोदी बात तो छप्पन इंच के सीने की कर रहे हैं, लेकिन लोग भ्रमित इतने हैं कि सुनने के तत्काल बाद ही उन्हें लगने लगता है कि इंच नहीं मोदी सेंटीमीटर ही बोल रहे हैं। तब जब मोदी ने छप्पन इंची सीने वाले प्रधानमंत्री की जरूरत बतलाई थी तो छोटे-मोटे राजनेता तो राजनेता, हमास-तमासिये भी कांच के सामने खड़े फीता लेकर पद हेतु अपनी पात्रता नापते हुए अपनी पत्नियों से मोसे सुनते रहे तो कइयों को गली-महल्ले की दर्जी दुकान पर चौड़े-धाड़े ही सीना नपवाते देखा गया। मजे की बात यह कि तब जिन्होंने भी अपना सीना नपवाया, वे सभी पात्रता की इस प्राथमिक परीक्षा में असफल पाए गए। कुछ हलर-फलरियों ने शहर के उन दीखते लोगों पर नजर डालना शुरू किया तो लगभग सात लाख की आबादी वाले इस शहर में कुल जमा दस लोग भी इस पात्रता में नहीं नपे। कुछ ने कहा कि तेरी पहुंच ही तंग है अन्यथा दस-बीस तो इस नपाई में ही जाते। लेकिन जो दसे' लोग नजर में नपे उन्होंने प्रधानमंत्री पद की बात तो दूर वार्ड मेम्बर होने की इच्छा भी कभी जाहिर नहीं की।
तब जब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हो चुके थे तो एक उत्साही 'सज्जन' अखबार में छपी उस खबर की कतरन लेकर नामी और बड़े वकील के पास पहुंच गये और पूछ बैठे कि इस खबर की बिना पर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के अयोग्य करार दिया जा सकता है क्या। खबर थी कि एक खोजी पत्रकार बंधु गांधीनगर के उस टेलर मास्टरजी के पास पहुंच गये जो नरेन्द्र मोदी का बंडीनुमा कुरता सिलता रहा था। वे 'मास्टरजी' अन्यथा तो शायद अपने ग्राहक की गोपनीयता जाहिर नहीं करते लेकिन अन्दर से कहीं इस बात को लेकर रुष्ट थे कि प्रधानमंत्री होने के बाद मोदी ने उस 'नाचीज' को वह मान नहीं दिया जो अब तक उनका कुरता सिलता रहा था और जो अब प्रधानमंत्री का निजी-निवेगी टेलर मास्टर होने की इज्जत चाहता था। प्रधानमंत्री बनते ही मोदी को देश की राजधानी के बड़े ड्रेस और फैशन डिजायनरों ने हथिया लिया। उन टेलर मास्टरजी ने राज इस तरह खोल ही दिया कि 'मोदीजी के कुरते' में नाप चौवालीस का होता है जो उनके असल सीने से दो इंच ज्यादा है। नादान खोजी पत्रकार ने बिना सोचे-समझे तत्काल सवाल किया कि दो इंच ज्यादा क्यों? टेलर 'मास्टरजी' ने पहले तो उसे यूं देखा जैसे कोई जडमूर्ख को देखता हो और जवाब दे मारा-भईये, बात कुरते की हो रही है, होजयरी बनियान की नहीं। ढीला नहीं होगा तो पहना कैसे जायेगा।
इस खबर को पहले तो बड़े वकील 'साब' ने देखा फिर चश्मा नीचे कर उन उत्साही सज्जन को और फटाक से बोल दिया कि दो लाख केवल रिट लगाने के और फिर प्रति पेशी एक-एक लाख लगेंगे। वह सज्जन ठहरे सामान्य परिवार से नई पीढ़ी के, जिसने कभी लाख की असली चूडिय़ां ही नहीं देखी तो असल नोट तो दूर की बात।
बात आज सीने पर फिर यूं चली कि पिछले वर्ष के अंत और इस वर्ष के शुरू में जब-जब चीनी सैनिक आदतन हिमालय की सूनी पहाडिय़ों को सम्हालने आये तो तब-तब उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की मोदी ने खिल्ली उड़ाई। लेकिन इसी बुधवार की शाम जब अहमदाबाद में मोदी चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग को झूला झुलाकर रेशमी खमण, सेंडविच ढोकलों और खांडवी की मनुहारें कर रहे थे, ठीक उसी समय हथियारों से सजे-धजे एक हजार सैनिक लद्दाख क्षेत्र की 'भारतीय सीमा' में जमे और कल ही जब शी चिनपिंग को दोपहर का भोज खिलाया जा रहा था उसी समय चीनी हेलीकॉप्टर उन हजार सैनिकों के लिए भोजन परोस गया।
इसी माजरे पर कल सोशल साइट्स पर छप्पन इंच और सेंटीमीटर का असमंजस खड़ा हुआ, हालांकि मोदी ने भी कल अपना स्वांग परसों वाला नहीं रखकर शी चिनपिंग के सान्निध्य के समय थोबड़े को सुजाए रखा।

20 सितम्बर, 2014

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