Wednesday, February 19, 2014

देश और जनता जाए भाड़ में !!

नैतिकता का पतन देश में जैसे-जैसे बढ़ रहा है उस गति और मात्रा से कुछ अधिक अनैतिकता और भ्रष्टाचार को आजमाने में सभी तरह से समर्थ लोग जुटे रहते हैं। पिछले दो-एक वर्षों से संसद का नजारा शर्मनाक है, दोनों सदनों के हां-ना पक्ष नेताओं को सदन की गरिमा से ज्यादा पार्टी और स्व हित ऊपर लगते हैं। शून्यकाल के अलावा दोनों सदन शायद ही सुचारु चल पाते हों। सदन में बातचीत और एक राय से तय होने पर मतदान प्रक्रिया से जिन मुद्दों को निबटाया जाना चाहिए, ऐसे सभी मुद्दों को शोर-शराबे, थापामुक्की और अब तो स्प्रै और चाकू का इस्तेमाल  तक करके निबटाया जाने लगा है। सभी पार्टियों में कुछ-कुछ संजीदा सदस्य हैं लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने की तूती से ज्यादा नहीं है। सो ऐसे सभी चुप रहना ही बेहतर समझते हैं, शेष सभी सदन की गरिमा को ताक पर रखते हुए अपने-अपने या अपनी-अपनी पार्टियों के हितों को साधने में लगे रहते हैं, चाहे देशहित जाए भाड़ में। पर वे यह नहीं समझ रहे हैं, देश बचेगा तभी उनके हित बचेंगे।
तेलंगाना मुद्दे पर किसी भी रूप में सक्रिय सभी लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है कि इस मुद्दे के पीछे असल बात क्या है। इस अलग प्रदेश की मांग का महत्त्व क्या है, जरूरत क्या है और तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की सामूहिक भावनाओं के साथ लगातार खिलवाड़ क्यों हो रहा है? सीमान्ध्र या तटीयआंध्र और रायलसीमा इलाके से आने वाले सांसदों के विरोध का मकसद और लालच क्या है। ये सभी वोट जुगाडऩे की जुगत में लगे हैं तो केन्द्रीय सरकार का मकसद भी तेलंगानाइयों के साथ न्याय करना कम और अपना राजनीतिक स्वार्थ साधना ज्यादा है। अन्यथा दस साल तक राज करते हुए उन्हें इसे अंजाम तक पहुँचाना जरूरी नहीं लगा और अब अचानक जैसे-तैसे निबटाने में लगे हैं।
अलग तेलंगाना राज्य गठन के विधेयक को कल लोकसभा में पारित कर दिया गया। इसके अधिकांश मुखर विरोधी सांसदों को 'स्प्रै' घटना के दिन से निलंबित किया जा चुका है। मन से वे चाहते ही यही थे और इसी में उनकी अनुकूलता थी, अन्यथा कल उन्हें इससे भी बड़ा नाटक करना पड़ता। शेष जो भी रहे कल उनका पूरा जाब्ता सदन में पहले हो चुका था। फिर भी कुछ बदमजगी होती तो कल टीवी कैमरों की व्यवस्था गड़बड़ा दी गई ताकि उनका माजना देश देखे। हो सकता है यह विधेयक आज नहीं तो कल राज्यसभा में पारित हो जाये और उच्चतम न्यायालय ने प्रक्रियागत बाधा नहीं देखी तो तेलंगाना देश का उन्नतीसवां प्रदेश बन जायेगा।
तीन माह में लोकसभा चुनाव होने हैं, तेलंगाना की सत्तरह सीटों पर कांग्रेस लूट मचाने के मूड में है तो शेष सीमान्ध्र और रायलसीमा के राजनेता और सांसद इस दौरान किये नाटकों के परिणामों से वहां पचीस सीटों को अपने अनुकूल बनाने में लग जाएंगे। विरोध का मकसद भी यही था।
देश और जनता दोनों उनकी तरफ से भाड़ में जाए !!                               19 जनवरी 2014                            

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