Friday, October 25, 2013

‘सौ कांदे या सौ जूते’

लोक में एक सामन्ती कहावत प्रचलित है कांदे और जूते दोनों खाने की। इस कहावती निर्णय में खाने वाले के पास यह विकल्प ही नहीं होता कि दोनों को खाने से बच सके। यह तो आदेश करने वाले शातिर ने पहले ही तय करके इस तरह सजा बोल दी कि सौ जूते या सौ प्याज में से क्या खाना है, और अंतत: उसे दोनों ही खाने होते हैं, छूट उसे उन अन्तिम कुछ जूतों या प्याज की मिलती है जिससे पहले वह किसी एक को पूरे खा चुका होता है।
प्याज को लेकर मण्डियों से मीडिया तक घमासान है। शोभन सरकार के पर्दे से हटते ही मीडिया को प्याज हाथ लग गया। उधर जहां जिसकी सरकार है और विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, उनकी आंखों में पानी सूखने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा शासित राज्यों को इतनी राहत जरूर है कि उनके पास आंखें पोंछने के लिए केन्द्र सरकार को भुंडाने जैसा रूमाल हासिल है। बात दिल्ली की करें तो कांग्रेस इसे देश के दिल के रूप में प्रचारित कर चुकी है और इन मीडिया वालों का दिल जैसा दिल्ली पर आया हुआ है वैसा ना तो किसी अन्य महानगर पर और ना ही किसी अन्य राज्य पर। दिल्ली की धड़कन को देश की धड़कन कहने से भी नहीं चूकता मीडिया। बीच में रुकेंगे यह बताने के लिए कि फेसबुक मित्र डॉ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने आज ही इसे प्याजोन्माद का नाम दिया। प्याज के दौर को प्याजोन्माद कहना विनायक को बहुत ही सटीक लगा। जमाखोरों को संगत देकर मीडिया प्याजोन्माद फैलाने में जुट गया है। लेकिन इस चुनावी माहौल में भी ये 1998 वाला वह उन्माद पैदा करने में असफल रहे जिसमें दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज की कुर्सी खेत हो गई थी आैर तब से मुख्यमंत्री बनी शीला दीक्षित अभी तक कायम है। दिल्ली भाजपा को एकबारगी तो लगा कि शीला से बदला लेने का असल मौका गया है लेकिनआपके अरविंद केजरीवाल ने इस प्याज को बीच में ही लपक लिया और भाजपा को पत्ते फेंट कर विजय गोयल की जगह डॉ. हर्षवर्धन को लाना पड़ गया।
 1998 के मुकाबले टीवी आज ज्यादा प्रभावी है, लेकिन पूरी कोशिश के बावजूद तब जैसा प्याजोन्माद फैलाने में वह सफल नहीं हो रहा है। उधर दिल्ली में फैले इस उन्माद पर भाजपा और कांग्रेस दोनों मुस्तैद हो गये हैं तो कृषिमंत्री शरद पवार बहकने लगे हैं। उनके इस तरह बहकने और शीला दीक्षित को लाचार देख कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आगे गये हैं, वे दिल्ली के लिए चाहे जितना प्याज भेजने को आतुर हैं। देश में प्याज की सबसे ज्यादा फसल महाराष्ट्र में होती है और प्याज की सबसे बड़ी मण्डी नासिक है। इतने सब के बाद भी दिल्ली में अरविन्द कीआपबाजी मार ले गयी तो कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति उस बेचारे जैसी हो जायेगी जिसेप्याज और जूतेदोनों खाने पड़ जाते हैं।
25 अक्टूबर, 2013


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