Monday, September 9, 2013

मेला-मास और आपराधिक घटनाएं


भादवे के इस मेला-मास में खबरों की तासीर बदलती नजर रही है, अखबारों में आपराधिक खबरों की अधिकांश जगह मेलों-जागरणों और जातरुओं की खबरें ले रही हैं। हां शहर और कस्बों में चोरियों का तांता जरूर जारी है। मेलों के कारण खाली हुए से शहरों-कस्बों में संभवतः चोरों को ज्यादा अनुकूलता मिलती है। लेकिन दूसरे तरह के अपराधों में कमी उल्लेखनीय है। कहने वाले कहते हैं कि अपराधी प्रवृत्ति के सभी लोग इन दिनों में अपने कार्यक्षेत्र बदल कर मेलों के स्थानों और उन रास्तों पर अनुकूलताएं ढूंढ़ने में लग जाते हैं जहां से पदयात्री और मेलार्थी गुजरते हैं। सामान्यतः देखा गया है कि इन मेलों और यात्राओं के दौरान घटित छुटपुट आपराधिक घटनाओं को दर्ज करवाने की माथा-फोड़ी में लोग कम ही पड़ते हैं। ऐसी ही छुट-घटनाओं से इन आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की आजीविका भी पूरी हो जाती है और मेले-मगरियों की मौज-मस्ती भी। व्याभिचारी और लंपट किस्म की मानसिकता वाले लोगों के लिए भी यह यात्राएं और मेले काफी अनुकूलता देने वाले माने गये हैं। इस प्रकार चोरी जैसी घटनाओं को छोड़ दें अन्य अपराध तो हाल-फिलहाल काफी कम हो गये हैं। हालांकि अखबारों के पन्ने काले करने के लिए मेले-जागरण और पर्युषण पर्व की खबरें पर्याप्त मिल जाती हैं।
कम आपराधिक खबरें सुकून की बात इसलिए नहीं कही जा सकती कि अपराध का स्थान और रूप ही बदला है, सबकुछ बदस्तूर जारी है पुलिस महकमा जरूर सुकून महसूस कर सकता है, क्योंकि चोरी के अलावा अन्य सभी तरह की घटनाओं की दर्जगी काफी कम हो गयी है

9 सितम्बर, 2013

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