न्यास अध्यक्ष हाजी मकसूद ने भी कल अपनी उपलब्धियों को ‘सेलीब्रेट’ कर लिया। छोटे-मोटे सेलीब्र्रेशन
तो वे करते ही आए हैं पर अभी जो ग्राम-पंचायत और जिलों से लेकर प्रदेश भर में वर्तमान सरकार की उपलब्धियों का बखान हो रहा है उस कड़ी में भी उन्हें सेलीब्रेट करना था सो कर लिया। इस तरह के आयोजनों में भाषणों के साथ चाटण की व्यवस्था भी आम हो गई है, सो कल के कार्यक्रम में भोजन की भी व्यवस्था थी। इस सेलीब्रेशन को आज के अखबारों ने पर्याप्त जगह दी है लेकिन हम अखबार वाले ‘चाटण’ का उल्लेख ना करके नमक हरामी करते हैं या अपने लिए दबे मुंह होने वाली उन बातों को नजरअन्दाज करते हैं जिसमें शहर के हलर-फलरिए आपसी बातचीत में ये कहते नहीं चूकते कि ये पत्रकार आजकल टुकरेल हो गये।
खैर अपने को इससे ज्यादा जरकाने का माद्दा नहीं है सो न्यास की उपलब्धियों पर ही बात कर लेते हैं। विनायक ने एक से अधिक बार हाजी मकसूद को पहले भी बताया है कि अति कल्लाभक्ति में आप न्याय नहीं कर पा रहे हैं इसका प्रमाण कल खुद हाजी मकसूद ने ही दे दिया। बीकानेर (पूर्व) और बीकानेर (पश्चिम) ये दोनों विधानसभा क्षेत्र नगर विकास न्यास की परगा में आते हैं पर न्यास अध्यक्ष ने अपने इस कार्यकाल में जो तीन सौ करोड़ के कार्य गिनवाएं हैं उनमें से एक सौ पांच करोड़ के विकास कार्य बीकानेर (पूर्व) क्षेत्र में और एक सौ पिचानवें करोड़ के विकास कार्य बीकानेर (पश्चिम) क्षेत्र के हैं। सभी जानते हैं कि बीकानेर (पश्चिम) डॉ. कल्ला का विधानसभा क्षेत्र है और विनायक ने हाजी मकसूद के न्यास अध्यक्ष बनते ही कह दिया था कि यह नुगरे नहीं हो सकते। और उन्होंने विनायक के कहे को आज तक झूठ नहीं होने दिया। जबकि हाजी मकसूद खुद यह जानते हैं उन पर यह अनुकम्पा अकेले कल्ला के कारण नहीं हुई, रिश्तों को निभाना वे बखूबी जानते हैं। लेकिन ये भूल जाते हैं कि आपको कोई सार्वजनिक जिम्मेदारी दी गई है तो उसके प्रति न्याय करने की जिम्मेदारी भी आपकी है। अब तीन सौ करोड़ के अपने कामों के बंटवारे में नब्बे करोड़ के क्षेत्रवार अन्तर को वे न्यायिक भी ठहरा देने की कोशिश करेंगे, पर जो न्यायिक नहीं है वह न्यायिक कैसे कहलाएगा। हाजी मकसूद यह भी भूल गये कि हो सकता है उनके ना चाहते हुए भी बीकानेर (पूर्व) से कांग्रेस उम्मीदवारी उनके गले आ सकती है, तब वे इस क्षेत्र के मतदाताओं को क्या जवाब देंगे और यह भी कि यदि कोई दूसरा भी उनकी पार्टी से उम्मीदवार बनता है तब भी इस दुभांत को लेकर कांग्रेसी न्यास अध्यक्ष होने के नाते हाजी मकसूद की जवाबदेही तो चुनावों में बनेगी ही।
हाजी मकसूद से कल किसी पत्रकार ने शायद ही पूछा होगा कि न्यास अध्यक्ष बनने के बाद से रंगमंच को बर्फ में क्यों लगा दिया गया और क्यों बीकानेर (पूर्व) क्षेत्र के अधिकांश कार्य आधे-अधूरे पड़े हैं और यह भी कि न्यास के जिन-जिन कामों की क्रेडिट न्यास अध्यक्ष के नाते पूर्व कलक्टर डॉ. पृथ्वी के खाते में जा सकती है उन-उन कार्यों को पक्षाघात से क्यों ग्रसित कर दिया गया। रंगमंच के साथ-साथ जैन स्कूल के पास से मोहता सराय को जोड़ने वाली लिंक रोड भी शायद इसी मनःस्थिति का शिकार है।
अलावा इसके नए गजनेर रोड को सीधे लालगढ़ स्टेशन से जोड़ने वाली सड़क को विकसित करने के काम को किन दवाबों के चलते ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है जो नगरवासियों को एक महती जरूरत है। पुराने जेल परिसर में छः करोड़ रुपये धूल फांक रहे हैं तो शिवबाड़ी चौराहे से सोफिया स्कूल तक के मार्ग के विकास को बीच मझधार में यूं छोड़ दिया जैसे यह सड़क किसी अन्य एजेन्सी के कार्यक्षेत्र
में जा चुकी है। सूरसागर की बेनूरी पर विनायक कई बार लिख चुका है और इस न्यास ने भी डेढ़ करोड़ रुपये पानी के साथ भाप में उड़ा दिए है। वृद्धजन भ्रमण पथ के कार्य भी लम्बे समय से अधबीच में पड़े हैं। जबकि इन सब कामों को न्यास अध्यक्ष ने अपनी उपलब्धियों में गिनाया है।
शहर की कई सड़कों और चौराहों-तिराहों पर बेतरतीब कब्जों ने आवागमन को दूभर कर रखा है। इन कब्जों को हटाना या इनमें से कुछ कब्जे यदि नियमित भी हो चुके हैं तो उनके हटाने के उपाय करने का एक भी साहस हाजी मकसूद दिखा पाए हैं क्या?
सामुदायिक भवनों में अनाप-शनाप धन लगाकर उन समाजों के शत-प्रतिशत वोट कांग्रेस हासिल कर लेगी, संभव नहीं है। आम शहरी की सुविधाओं के लिए खर्च होने वाले धन को वोटों के झारों से गुजारने की यह कवायद कितनी उचित है। दो-चार दिनों में चुनावी आचार-संहिता लागू हो जानी है। इन अधिकांश अधूरे कामों का हश्र क्या होगा हाजी मकसूद को कल यह भी बता देना चाहिए था। हाजी मकसूद और भानीभाई दोनों ये भूल रहे हैं कि यदि कांग्रेस इन दोनों शहरी क्षेत्रों से फिर हारती है तो इन दोनों की जिम्मेदारी भी कम नहीं होगी।
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सितम्बर, 2013
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