Monday, July 8, 2013

सन्देश यात्रा का बीकानेरी पड़ाव

कांग्रेस की सन्देश यात्रा के दो दिन के बीकानेरी पड़ाव का कल अन्तिम दिन था। नोखा और कोलायत की जनसभाओं के बाद कल रात मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को बीकानेर पूर्व और बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्रों की जनता को सम्बोधित करना था। दूसरी ओर पिछले कुछ दिनों से उमस से बेहाल बीकानेरियों को शाम सात बजे बाद जम कर हुई बारिश से जहां सुकून मिला वहीं कांग्रेस को अपनी इस सभा को स्थगित करना पड़ा। पाठकों को याद होगा कि अशोक गहलोत के पिछले काल में वर्षा की कमी को गहलोत के पगफेरे से भुंडाया जाता था और यह प्रचारित किया गया कि गहलोत जब तक मुख्यमंत्री रहेंगे प्रदेश को अकाल का सामना करना पड़ेगा। जबकि प्रकृति अपने हिसाब से चलती है और यदि उसके साथ छेड़खानी करोगे तो उत्तराखण्ड की तरह भुगतेंगे भी। बात पगफेरे की करें तो 2008 से सूबे के वही अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं और पिछले चारों साल प्रदेश में अच्छी बारिश रही है। यहां तक कि इस मानसून की पहली और अच्छी बारिश भी कल मुख्यमंत्री के यहां रहते ही हुई है! कहने का मानी यही है कि विज्ञान के इस युग में अनुकूलताएं-प्रतिकूलताएं प्रभावित तो करती हैं, भाग्य और पगफेरे में भरोसा कितना जायज है, विचारणीय है।
कांग्रेस की सन्देश यात्रा का कुल जमा मकसद आगामी विधानसभा चुनावों की पूर्वतैयारी है और क्षेत्र विशेष में कुछ कमी रह गयी हो तो उसे सुधारना। संभावित उम्मीदवारों को टटोलना और उनकी हैसियत को परखना भी इसी यात्रा के दौरान पार्टी कर रही है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से अपने को संभावित उम्मीदवार मानने वाले सभी शनिवार सुबह से ही मुस्तैद देखे गये, यह मुस्तैदी आज सुबह तब तक कायम रही जब तक गहलोत और उनके साथ आए यहां से उड़ नहीं गये। सन्देश यात्रा को लेकर संभावित उम्मीदवारों में से जो होर्डिंगों और अखबारी विज्ञापनों में सर्वाधिक छाए रहे उनमें बीकानेर (पूर्व) के संभावित प्रत्याशी यशपाल गहलोत पहले नम्बर पर देखे गये, शहर में मुख्यमंत्री के सभी संभावित रास्तों के रोड लाइट खम्बों और तिराहों-चौराहो पर उनके होर्डिंग सर्वाधिक देखे गये। लगता है यशपाल में खुद मुख्तारी का भाव जगने लगा है। होर्डिंग्स के ललाट पर डॉ. कल्ला को विराजित कर खुद होर्डिंग के गालों पर मुख्यमंत्री के बरअक्स बैठे पाए गये। फिर जिन लोगों के चेहरे देखने को मिले उनमें बीकानेर (पूर्व) सीट के ही दावेदार हाजी मोहम्मद सलीम सोढा, गुलाब गहलोत, डॉ. तनवीर मालावत, आनन्द सोढा, फूसराज गहलोत और बाबू जयशंकर के थे। सरकिट हाउस के इर्द-गिर्द लगे बाबू जयशंकर के पोस्टरों में आश्चर्यजनक ढंग से डॉ. सी.पी. जोशी नदारद थे, जबकि जयशंकर को शहर में सीपी जोशी का आदमी माना जाता रहा है। बीकानेर (पूर्व) के दावेदारों में राजूदेवी व्यास के अलावा किसी ने इस तरह का खर्चा करने की जरूरत नहीं समझी। वैसे इस पूर्व सीट की दावेदारी जताने वाले गुलाम मुस्तफा (बाबू भाई) भी सक्रिय देखे गये।
सरकिट हाउस में नोखा, कोलायत की सफल सभाओं के लिए जहां रामेश्वर डूडी बधाइयां लेते देखे गये वहीं शहर की सीटों के दावेदारों ने अपनी अक्षमता को यह कहकर स्वीकारा कि ऊपरवाले ने या भगवान ने लाज रख ली अन्यथा राजीव मार्ग की सभा की संभावित कम भीड़ हमारे पोत चौड़े ला देती।
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने जमीनी होने का प्रमाण इस पड़ाव में सातों विधानसभा क्षेत्रों का दौरा सड़क मार्ग से करके दिया वहीं वे इन सातों विधानसभाई क्षेत्रों के संभावित परिणामों को लेकर बेहद उत्सुक भी देखे गये। मुख्यमंत्री की चिन्ता का कारण जायज भी है। 2008 में जिले की सात में से दो सीटें ही पार्टी हासिल कर पायी थी। स्थानीय नेताओं की अक्षमताओं के चलते स्थितियां कमोबेश वैसी ही हैं। मुख्यमंत्रीजी को जिले से विधानसभा में अतिरिक्त नम्बर हासिल करना है तो बहुत कुछ अतिरिक्त उन्हें ही करना होगा।विनायकने ऐसी आशंकाओं को तर्कसहित एक से अधिक बार बताया है। 2008 में कांग्रेस को मिली दो सीटों में भी भाजपा के गलत निर्णयों का कम योगदान नहीं है। पूरे प्रदेश का माहौल अपने पक्ष में करने में सफल हो रहे गहलोत जिले की इन सात सीटों पर अतिरिक्त ध्यान नहीं देंगे तो हो सकता है फिर उन्हें गठबन्धन की सरकार ही चलानी पड़े और बीकानेर जैसे और भी जिले हुए तो फिर यह भी हो सकता है कि सिटपिट बिठा के वसुन्धरा ही राज सम्हाल ले!

8 जुलाई,  2013

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