Monday, June 3, 2013

नेट की दुनिया में विवेक और सावचेती

पिछले एक दशक में संचार माध्यमों में आश्चर्य से भी आगे के परिवर्तन हो रहे हैं। फिर वे चाहे बेतार से बातें हों या वीडियो बातचीत या फिर इंटरनेट के माध्यम से एक बटन क्लिक पर सूचना की उपलब्धता। दुनिया सिमट कर चौपाल होने को है, इसके एक बड़े माध्यम सोशल साइट्स का उपयोग ना केवल कम्प्यूटर की पहुंच वाले लोगों में बल्कि स्मार्ट मोबाइल फोन का उपयोग करने वालों में बढ़ता जा रहा है।
लोक में कहा भी जाता रहा है उम्मीद से ज्यादा या अचानक कुछ हासिल होता हो तो विवेक और सावचेती दोनों को सम्हालना मुश्किल होता है। आए दिन ऐसी खबरें मिलती हैं कि संचार माध्यमों के इस विस्फोटक युग की बदौलत बदमजगियां हो रही हैं। संचार के ये नये माध्यम कई घोड़ों के उस रथ के समान हैं जिसमें एक पर लगाम लगाएं तो दूसरा और दूसरे पर लगाएं जितने में तीसरा बेकाबू होने को होता है। साइबर अपराध रोकने के नियम कायदे आए दिन ओछे पड़ने लगे हैं।
युग स्वविवेक और खुद की सावचेती का होता जा रहा है। किसी दूसरे को चेताने की या तो फुरसत नहीं होती। और होती भी है तो उसे लगता है कि मैं अनावश्यक ही क्यों हस्तक्षेप करूं? दुनिया को जानने-समझने के संसाधन ज्यों-ज्यों बढ़ते जा रहे हैं त्यों-त्यों व्यक्तिगत तौर पर विवेक और सावचेती की जरूरत भी ज्यादा महसूस की जाने लगी है, इन साधनों का उपयोग करने वाला सावचेत नहीं है तो उसके साथ शारीरिक-मानसिक किसी प्रकार की दुर्घटना कभी भी घट सकती है।
गूगल या इस जैसे अन्य सर्च इंजनों पर दुनिया का उपलब्ध लगभग पूरा ज्ञान और सूचनाएं अधिकांश भाषाओं में हासिल कर सकते हैं। लेकिन इन सूचनाओं पर शत-प्रतिशत भरोसा नहीं कर सकते। यद्यपि इनके नियन्ता लगातार फीडबैक लेकर सामग्री को अपडेट करते/करवाते हैं, बावजूद इसके आपको इन सूचनाओं को अपनी मनीषा से, विवेक और अन्य स्रोतों से पुष्ट करते रहना जरूरी है। भाषाओं के मामले में हिन्दी में उपलब्ध सामग्री विपुल नहीं है; जो है उनमें अधिकांश की भाषा और प्रस्तुति अच्छी नहीं है। हिन्दी की बात करने वालों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
सोशल साइट्स पर कुछ गिरोह भी काम करने लगे हैं जो अपने-अपने तुच्छ मकसदों से अनर्गल सूचनाओं का प्रसारण कर अपने मंसूबों को पुख्ता जामा पहनाने का सफल-असफल प्रयास भी करते हैं। इसके अलावा बहुत लोग नकली पहचान के साथ अपने अस्वच्छ मकसदों को साधते पाएं जाते हैं। बहुत-सी आइडी ऐसी भी हैं जो अश्लील सामग्री साझा करने से नहीं चूकते। इस तरह की सामग्री की सूचना तुरन्त सोशल साइट के प्रबन्धक को करनी चाहिए, सभी सोशल साइट्स ने ऐसी सुविधा दे रखी है। यह तो नहीं कह सकते कि इस तरह की सावचेती से यह सब पूर्णतः सुधर जाएगा। लेकिन इतना जरूर है कि इससे लगातार सफाई भी होगी तो गन्दगी करने वाले हतोत्साहित भी होंगे।

3 जून, 2013

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