Friday, June 28, 2013

आशंकाओं पर सावचेती जरूरी

उत्तराखण्ड आपदा मामले में पन्द्रह हजार गुजरातियों को निकाल ले जाने की उड़ी खबर से भाजपा के संभावित पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी की हुई छीछालेदर के बाद उत्तराखण्ड मामले में पार्टी की सक्रियता कुछ ज्यादा ही दीखने लगी है। बीकानेर में भी पार्टी के सांसद, विधायकों से लेकर छुटभैयै तक सक्रिय देखे जा सकते हैं। इस तरह का सहयोग, सक्रियता किसी भी समूह की हो प्रशंसनीय है। देश में ही क्यों दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसी विपदा आए तो भी हममें इसी तरह की भावना होनी चाहिए। इस तरह का सहयोग कई तरह की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करता है।
ऐसी विपदाओं पर दूसरे तरीके से भी विचारना जरूरी है। देश की दोनों बड़ी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस आपदा राहत पर भी श्रेय लेने की होड़ में लगी हैं। जबकि शासन में रहते और इन्हीं पार्टियों की नीतियों के चलते यह विपदा विकराल हुई अन्यथा जन-धन सहित सभी तरह के नुकसान इतने नहीं होते।
बीकानेर से जन सहयोग की खबरें बढ़-चढ़ कर लग रही हैं। लेकिन क्या सौ, दो सौ, पांच सौ हजार रुपये या कुछ सामग्री देने भर की ही हमारी ड्यूटी है? या हम इस तरह की विपदाओं से सबक लेकर व्यापक सोच के साथ यह भी विचार करेंगे कि आखिर ये प्राकृतिक आपदाएं इतनी विकराल क्यों हो जाती हैं। फिर, चाहे वे पहले आए गुजरात या उत्तराखण्ड के भूकम्प हों या हाल में हुई भारी वर्षा। समाज यदि इन मुद्दों पर विचारने के लिए समय नहीं निकालेगा तो ये विभीषिकाएं कम होने वाली नहीं हैं।
यह भी कि जो नुकसान अब तक हो गया है वह तो हो गया, लेकिन यह नुकसान कोई नये नुकसान सर्जित ना कर दे, इसके लिए सचेष्ट होना जरूरी है। ना केवल मानव शव बल्कि पशु-पक्षियों और जीव-जन्तुओं के हजारों शव पूरे आपदा क्षेत्र में छितरे और मिट्टी में दबे पड़े हैं। हालांकि मानव शवों के अन्तिम संस्कार का काम शुरू कर दिया गया है, पर क्या इतना भर पर्याप्त होगा।

मिट्टी-गाद में दफन हो गये सभी प्रकार के शवों की तो अब इतनी चिन्ता इसलिए नहीं है कि वे एक तरह से सुपुर्दे खाक हो गये हैं लेकिन जो शव, जिनमें पशु-पक्षियों और जीव-जन्तुओं के भी हैं, खुले में पड़े हैं, वे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। कल ही एक समाचार था कि चूहों, गिलहरी और छिपकलियों के शवों सेप्लेगजैसी महामारी फैलने की आशंका बन रही है। अगर ऐसा होता है तो यह ज्यादा भयावह होगा। सरकार और विभिन्न सेवाभावी संस्थाओं का इस ओर सजग होना ज्यादा जरूरी है।

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