Monday, June 17, 2013

सूरसागर और चुनावी फिजां

वसुन्धरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा सम्भाग में चल रही है। इसके श्रीडूंगरगढ़ पड़ाव के दिन उन्होंने रतबासा यहां किया था लेकिन औपचारिक पड़ाव का तय दिन 20 जून ही था। पार्टी की ऊपरी मंजिल में चले घमासान से वसुन्धरा वैसे तो निरवाली हैं लेकिन कहा जा रहा है कि कोई जरूरी बैठक के सिलसिले में उन्हें 20 की शाम दिल्ली पहुंचना है। सो सुराज संकल्प यात्रा के कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। शहरी सभा को अब वे 20 की बजाय 19 को ही सम्बोधित करेंगी।
बीकानेर में एक सूरसागर था और है। पचास से कम उम्र के यहां के बाशिन्दे सूरसागर का मतलब कीचड़ और गन्दे पानी के भराव क्षेत्र के रूप में ही जानते-समझते थे। शहर के बीच गये इस सूरसागर के पास से गुजरना तक भारी था। आस-पड़ोस में रहने वाले धन्य ही थे! 2008 से पहले तक मानो शहर की सबसे बड़ी समस्या यह सूरसागर ही थी। जनता इसे लेकर त्रस्त थी और शासन-प्रशासन पर कुपित भी। सन् 1980 से लेकर 2008 तक इस क्षेत्र की निर्बाध नुमाइन्दगी कर रहे देवीसिंह भाटी  स्थानीय आम सभाओं में कई वर्षों तक एक से अधिक बार यह प्रण जाहिर करते रहे कि या तो मैं रहूंगा या यह सूरसागर। प्रण उनका अपनी जगह रहा और अनुकूलताओं-प्रतिकूलताओं के चलते सूरसागर भी।
तब के चुनावी साल 2008 में वसुन्धरा के तय कार्यक्रमानुसार राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह बीकानेर में मनाया जाना था सो शहर को सजाया जाने लगा। इसी में सूरसागर का नम्बर भी गया और आनन-फानन में यहझीलसाफ भी हो गई। रस्म अदायगी भर को नावें भी चल गईं। कांग्रेसी तब भी कहते रहे कि सूरसागर के काम की स्वीकृति कांग्रेस सरकार ने 2003 से पहले ही जारी कर दी थी। कांग्रेसी यह भी कहते रहे कि बजट के बावजूद भाजपा सरकार चार साल तक इसे दुरुस्त नहीं करवा पायी और चुनावी साल में करवा रही है। कांग्रेसियों की वह आवाज तब नक्कारखाने की तूती ही साबित हुई। सूरसागर और कुछ सड़कें बनवाने के नाम पर भाजपाइयों ने शहर की चुनावी फिजां अपने पक्ष में कर ली।
कांग्रेस के इस राज में सूरसागर फिर बेनूर होने लगा है। भाजपा इसके लिए कांग्रेस को कोसती रही और कांग्रेसी कहते रहे कि तब काम सही नहीं हुआ था। नगर विकास न्यास के मनोनीत कांग्रेसी अध्यक्ष हाजी मकसूद ने इस सूरसागर का काम पुनः करवाया और यह भी बताया कि भाजपा राज में पैसे की बरबादी किस तरह हुई। इसके चलते यह सूरसागर रोशन नहीं रह पाया।
सुराज संकल्प-यात्रा में रही वसुन्धरा को सूरसागर राग अलापने का शायद कांग्रेस मौका नहीं देना चाहती सो हाजी मकसूद 18 जून को ही इस सूरसागर पर उद्घाटन पत्थर फिर लगवाने को तत्पर हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आम आदमी से जुटाए जाने वाले सरकारी पैसे की बरबादी पिछली बार जैसी नहीं होगी!
परिवर्तित कार्यक्रम के अनुसार वसुन्धरा अब 19 की शाम उसी सूरसागर के पास से वर्तमान सरकार को कोसेंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि उन्हें और बाद में किसी भी राजनेता को सूरसागर के नाम की सिकी रोटियां मयस्सर ना हो!
2008 में यही हाजी मकसूद महापौर थे। तब भाजपा सरकार के पास केवल स्थानीय निकायों में न्यास ही था, इसके बावजूद भाजपा ने शहर की चुनावी फिजां अपने पक्ष में कर ली थी। देखना यह है कि कांग्रेसी महापौर, न्यास अध्यक्ष दोनों कांग्रेसी होने के बावजूद ये इस शहर की फिजां अपने पक्ष में करवा पाते हैं कि नहीं। इन चार सालों में शहर में धन तो पिछली सरकार से कई गुना ज्यादा खर्च हुआ है। खर्च हुए पैसे में खनक ये कांग्रेसी कितनी पैदा कर पाते हैं? मतदाता को खनक सुनवाने में ये असफल रहे तो कुछ भी हासिल नहीं होगा।




17 जून, 2013

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