सुराज यात्रा के नोखा-मुकाम पड़ाव के दौरान हाजिर ना रहने के चलते चर्चा में रहीं बीकानेर (पूर्व) की विधायक सिद्धीकुमारी बाद में ना केवल अवतरित हुईं बल्कि वसुन्धरा राजे से मिले ‘आयुष्मान भव’ आशीर्वचन से सुर्खियां भी हासिल कर ली। पिछले एक अरसे से अपने चुनाव क्षेत्र से सिद्धीकुमारी की लुका-छिपी से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा होने लगी थी कि सिद्धीकुमारी शायद अगला चुनाव ना लड़ें और यह भी कि पिछले दो दोनों दिनों भर की उनकी सक्रियता के आधार पर उस धारणा को बदला भी नहीं जा सकता है। इस सक्रियता को घर आए मेहमान की औपचारिक आव-भगत के खाते में डाला जा सकता है। सिद्धी ने क्या मन बना रखा है इसे भांपना फिलहाल संभव नहीं है। लेकिन पिछले चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी रहे तनवीर मालावत अपनी सक्रियता के चलते ध्यान जरूर खींच रहे हैं। मालावत इन दिनों मुख्यमंत्री की सन्देश यात्रा की पूर्व तैयारी में जनसम्पर्क में व्यस्त हैं। वे प्रतिदिन अपने क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में जा रहे हैं और इसे पर्याप्त प्रचारित भी कर रहे हैं। मालावत की इस सक्रियता से सिद्धिकुमारी का विचलित ना होना दो तरह के कयास लगाने का मौका देते हैं। एक तो यह कि जब अगला चुनाव उन्हें लड़ना ही नहीं है तो क्यों दुबला हुआ जाय और दूसरा यह कि जीत के प्रति इतना निश्चिंत होना कि ‘थान्या-भगवान्या’ कुछ भी करें, क्या फर्क पड़ना है।
तनवीर मालावत को यदि अगला चुनाव फिर बीकानेर (पूर्व) से ही लड़ना है तो केवल इन जनसम्पर्क यात्राओं से कुछ खास हासिल नहीं होना है। दूसरे सारे दंद-फंद छोड़ कर उन्हें झुझार होना होगा। सैंतीस हजार के अन्तर की खाई बहुत चौड़ी होती है। मालावत का किसी चमत्कार में भरोसा हो तो बात अलग है।
13 जून,
2013
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