पिछले वर्ष सितम्बर में जब जिला कलक्टर और मण्डल रेल प्रबन्धक जैसे बीकानेर के दो बड़े पदों पर महिलाओं को लगाया गया तो
‘विनायक’ ने 28 सितम्बर के अपने सम्पादकीय में उनसे उम्मीदें यूं जाहिर की--
‘बीकानेर में जन सुविधाओं में बढ़ोतरी के मुद्दे पर जिला कलक्टर और मण्डल रेल प्रबन्धक के बीच आपसी समझ और सामंजस्य होना बहुत महत्व रखता है-अब तक सामान्यतः देखा यही गया है कि इन दोनों ही पदों पर आने वाले व्यक्तियों के अहम कहें या हेकड़ी शहर के बहुत से सकारात्मक मुद्दों के आडे आते रहे हैं। शहर को प्यार करने वाली कोई बड़ी आवामी शख्सीयत हो तो इन अफसराइयां साधने का काम बखूबी कर सकती हैं लेकिन शहर का दुर्भाग्य यही है कि इस शहर को ऐसे खुले दिमाग का कोई लोक सेवक आज तक हासिल नहीं हुआ है। उम्मीद करनी चाहिए कि आरती डोगरा और मंजू गुप्ता अपने तईं कुछ करने की इच्छा लेकर आएं और जाने से पहले आपसी सामंजस्य से इस शहर को बहुत कुछ दे जाएं।’
जिला कलक्टर आरती डोगरा और मण्डल रेल प्रबन्धक मंजू गुप्ता ने पिछले छः महीने के अपने कार्यकाल में ‘विनायक’ और यहां की बाशिन्दों की उम्मीदों को और हरा किया है। सामान्यतः देखा गया है कि मण्डल रेल प्रबन्धक जैसे पद पर आने वाले अधिकारी न्यायिक सेवा के अधिकारियों की तरह आम-आवाम से दूरी बनाए रखते हैं। लेकिन मंजू गुप्ता अपने पिछले समकक्षों से अलग दीख रही हैं। काम के मामले में भी और आवाम से
रिश्तों के मामले में भी। इसी तरह जिला कलक्टर आरती डोगरा के पदभार ग्रहण करने से पहले ही सूचना आ गई थी कि बीकानेर को संजीदा और काम करने वाली कलक्टर मिली हैं। आरती डोगरा भी पूर्वसूचना पर खरी उतरी हैं।
उक्त ‘भूमिका’ के मानी यह है कि इन दोनों ही अधिकारियों से बीकानेर ने कुछ ज्यादा ही उम्मीदें बना ली हैं। दोनों अधिकारी चाहें तो रेलवे और जिला प्रशासन से सम्बन्धित कुछ स्थाई सौगातें शहर के दे सकते हैं। नीचे दिए सुझाओं पर विनायक पहले भी बात कर चुका है,
इसलिए हो सकता है कुछ पाठकों को दोहराव लगे।
बीकानेर रेलवे स्टेशन के दोनों ओर पार्किंग की सुविधाओं पर तो काम हो रहा है लेकिन दोनों ओर की
‘एप्रोच
रोड’ सम्बन्धी सुविधाओं पर भी काम होना चाहिए।
l डाक बंगले के एक हिस्से के अधिग्रहण के साथ सूरज टाकीज तिराहे तक की सड़क को योजना अनुसार तत्काल दुरुस्त करवाया जाना चाहिए।
l इसी तरह बीकानेर स्टेशन की ‘सैकिण्ड एण्ट्री’ के डीआरएम ऑफिस की तरफ से आने वाले रास्ते और वहीं नाले पर बने पुल को भी और चौड़ा किए जाने की जरूरत है। वहीं राजीव चौक की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित सैल्सटैक्स एण्टीविजन भवन के पोर्च वाले गलियारे को जिला प्रशासन अवाप्त करके सड़क की चौड़ाई बढ़वा सकता है।
l कोटगेट व सांखला फाटक पर जब तक अण्डरब्रिज और एलिवेटेड रोड की योजना परवान न चढ़े तब तक सांखला फाटक की चौड़ाई डबल की जा सकती है। इस फाटक को डबल बेरियर लगा कर कोयला गली स्थित तुलसी प्याऊ तक बढ़ाया जा सकता है। रेलवे क्रॉसिंगों पर इस तरह के डबल बेरियर देश में कई जगह देखे गये हैं। यदि ऐसा होता है तो फाटक खुलने पर अभी की तरह आधे-आधे घण्टे के जाम नहीं लगेंगे। यह काम मण्डल रेल प्रबन्धक स्तर पर अंजाम दिए जाने का इसलिए भी है कि इसमें ‘मैन पावर’ तो बढ़ना नहीं है अन्यथा रेलवे बोर्ड से इजाजत लेना भारी हो सकता है। क्योंकि एक ही द्वारपाल दोनों बेरियर को संचालित कर सकता है।
l इसी तरह जिला प्रशासन को यह पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए कि शहर से गुजरने वाली रेल पटरियों के आस-पास लोग गन्दगी न डालें। पिछली सदी के सातवें-आठवें दशक तक पटरियों के आस-पास की जगह बहुत साफ-सुथरी रहती थी। लेकिन अब वहां कीचड़ और गन्दगी पसरी रहती हैं।
l मण्डल रेल प्रबन्धक को प्रयास करके रामपुरा बस्ती की ओर भी लालगढ़ स्टेशन की ‘सैकिण्ड एण्ट्री’ शुरू करवानी चाहिए। क्योंकि फिलहाल परकोटाई बाशिन्दों और नत्थूसर, मुरलीधर, बंगलानगर, मुक्ताप्रसाद आदि कॉलोनियों के निवासियों को लम्बा चक्कर लगाकर लालगढ़ स्टेशन पहुंचना पड़ता है।
विनायक मानता है कि उक्त सुविधाएं शहरवासियों को मण्डल रेल प्रबन्धक और जिला कलक्टर की मात्र इच्छाशक्ति से हासिल हो सकती हैं। इसलिए उम्मीदें तो बनाए रख ही सकते हैं। जरूरत हुई तो इस कॉलम में उक्त बातें फिर दोहराएंगे।
27 अप्रैल, 2013
1 comment:
क्या से लोग आपका ब्लाग पढ़ते हैं ?
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