Tuesday, March 5, 2013

भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में बीकानेर


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद वसुन्धरा राजे ने कल अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दी है। इस कार्यकारिणी सूची को बीकानेरी आईने में देखें तो काफी निराशाजनक है। निराशाजनक इसलिए कह सकते हैं कि 2008 में जब वसुन्धरा का राज जा रहा था तब बीकानेर उन जिलों में से था जिसनेटगलगाने की भरसक कोशिश की थी। जिले की सात विधानसभा सीटों में से चार भाजपा की झोली में डाली। जबकि जिस कांग्रेस पार्टी को राज मिला उसे इस जिले से मात्र दो सीटें मिली। 2003 के चुनावों में भी जिले की कुल चार सीटों में से तीन भाजपा के खाते में चढ़ाई गई थीं। इस तरह कह सकते हैं कि यह जिला परम्परागत रूप से कांग्रेस विरोधी है। इसके बावजूद सत्ता के सपने पर सवार वसुन्धरा ने इस शहर की अहमियत को नजरअन्दाज किया है।
भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों में जिले से एकमात्र सांसद अर्जुन मेघवाल को लिया गया है। यह नियुक्ति जिले को प्रतिनिधित्व देने की मंशा से कम और जरूरत के हिसाब से ज्यादा लगती है। क्योंकि सांसद में ऐसे कईगुणबिन्दु हैं जिनके चलते वह अन्यथा भी वसुन्धरा की कार्यकारिणी में होते। पहला तो यह कि वह वसुन्धरा के इतने वफादार हैं कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी करते हुए उन्होंने अपनेप्रोफेशनल धर्म (ड्यूटी)’ से गिर कर वफादारी निभाई और इसी के चलते 2008 के विधानसभा के बीच चुनाव में चुनाव आयोग को उन्हें ड्यूटी से हटाना पड़ा। दूसरा वह सांसद हैं और तीसरा वे अनुसूचित वर्ग से आते हैं। इसलिए अर्जुन मेघवाल को कार्यकारिणी में पद देकर वसुन्धरा ने बीकानेर को कोई निहाल नहीं किया है, अपनी ही जरूरत पूरी की है। ऐसा नहीं है कि बीकानेर में वसुन्धरा के वफादारों की कोई कमी है, फेहरिस्त बनाओ तो जिला और संभाग स्तरीय नेताओं के ही कई नाम जाएंगे। हो सकता है वसुन्धरा यह मान कर चलती हो कि ये सब जायेंगे कहां, मेरे अलावाढोई’ (आसरा) कहां है इनको। चार विधायकों, पूर्व िवधायकों, पूर्व मंत्रियों और शहर-देहात के वर्तमान और पूर्व अध्यक्षों में से एक भी नाम ऐसा नहीं मिला कि वसुन्धरा की कार्यकारिणी में इनमें से कोई तो पद पाता!
हां, कार्यकारिणी सदस्यों और विशेष आमन्त्रितों की सूची में उक्त उल्लेखितों में से कइयों को जगह  दी गयी है। लेकिन जिन पर यह आशंका है कि वे वसुन्धरा को असहज कर सकते हैं वे नाम इस सूची में भी नहीं हैं। जो हैं उतने नाम तो प्रदेश के प्रत्येक जिले से रस्म अदायगी हेतु लिए ही गये हैं!
05 मार्च, 2013

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