सुना है पुलिस महकमे में आपसी औपचारिक बातचीत में पुलिस अधीक्षक यानी एसपी को टाइगर कहा जाता है। टाइगर यानी बाघ। अब यह पता नहीं कि आईजी यानी महानिरीक्षक
को लॉयन कहा जाता है या नहीं। वैसे पिछली सदी के सातवें-आठवें दशक के प्रसिद्ध फिल्मी खलनायक अजीत का एक संवाद बहुत लोकप्रिय हुआ था जिसमें वह कहते हैं ‘दुनिया मुझे लॉयन के नाम से जानती है’-लॉयन यानी शेर| लोककथाओं में शेर को जंगल का राजा माना गया है। जंगली जानवरों का अध्ययन यह बताता है कि बाघ और चीते (पेंथर) शेर की अधीनस्थता में ही जंगल में रहते हैं। इस पुलिस महकमे में एसपी के बाद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और उपाधीक्षक या सीओ के पद भी होते हैं, महकमा आईजी के ‘निकनेम’ के साथ यह भी तय कर सकता है कि चीता अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को कहेंगे या उपाधीक्षक को। यों शेर, बाघ, चीते के बाद जंगल में जिनकी गणना होती है वह प्रभावी नहीं है।
प्रशासनिक हलके की बात करें तो संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर, मजिस्ट्रेट आदि-आदि की पद शृंखला अलग से है। इन्हें उक्त पुलिस पदों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना गया है। इन प्रशासनिक पदों को भी जंगली नाम दे रखे हैं या नहीं हमारी जानकारी में नहीं है।
अब पाठक कहेंगे कि यह क्या ले कर बैठ गये और क्यों? सो इसका जवाब यह कि पिछले दिनों अजमेर में एसपी ट्रेप हुए था, उनका एक कमीशन एजेन्ट भी धरा गया था। कमीशन एजेंट को आम बोलचाल की भाषा में दलाल भी कहा जाता है। हालांकि इस दलाल शब्द को आजकल सम्मान से बोला-सुना नहीं जाता है। अजमेर के एसपी के साथ पकड़े गये दलाल की उसको पकड़े जाने से पहले जो फोन कॉल रिकॉर्ड हुई है उस बातचीत में दलाल एसपी का उल्लेख पप्पू नाम से करता है। यह पप्पू शब्द भी बड़ा भ्रमित करने वाला है। अगर यह शब्द पपु उच्चारित हुआ है तो उसका शब्दकोशीय मतलब है-‘रक्षक या पालन करने वाला।’ और यदि अखबारों में छपे हिसाब से देखें तो पप्पू का मतलब पिता होता है। दलाल के मंतव्य से समझें तो बोलचाल की भाषा के हिसाब से पप्पू यानी पिता यानी माईबाप हो सकता है। इस ‘पप्पू’ सम्बोधन का असल मंतव्य तो दलाल खुद ही बता सकेगा। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में बच्चों का प्यार का नाम या जिसे निकनेम भी कह सकते हैं पप्पू या पप्पी रखे जाने की परम्परा लम्बी है। एक परिचित व्यक्ति जो अब साठ के होने को हैं, उनको बचपन में पप्पू कहकर बुलाया जाता था और इस नाम से पुकारे जाने पर तब वे इतराते भी थे, कॉलेज में आये तो एक दिन अचानक परिजनों पर बिफर पड़े कि आज से मुझे पप्पू कह कर कोई नहीं बुलाएगा। अब वह क्यूं बिफरे इसका उत्तर तो जानने की हिम्मत किसी ने नहीं की। पर धरे गये अजमेर एसपी को ‘उनका’ दलाल पप्पू क्यों कहता था, पुलिस चाहे तो दलाल से हंकरा सकती है। आखिर पूरे महकमें की साख का सवाल है, टाइगर को पप्पू कहने की हिमाकत उसने कैसे की!
बाकी रही बात लॉयन की और पेंथर की तो ये नामकरण पुलिस महकमे पर छोड़ देते हैं कि वह किसे लॉयन कहकर बुलाये और किसे पेंथर। अजमेर के पूर्व टाइगर जिस पिंजरे में कैद हैं वह पिंजरा तय मानकों के अनुसार है या नहीं और नहीं है तो मेनका गांधी जरूर हस्तक्षेप कर सकती हैं।
04 मार्च, 2013
2 comments:
witty humour
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