Saturday, March 30, 2013

शहर से देश-प्रदेश तक होली की तरंग अभी भी


मंगल को होलिका दहन था और बुध को छालुड़ी आज शनिवार है, लगता है तरंग अभी गई नहीं है उत्तरी भारत में होली को सिर पर चढ़ा कर खेला जाता है उत्तरप्रदेश में तो कुछ विशेष ही मथुरा के विभिन्न क्षेत्रों में कई-कई दिन तक भिन्न-भिन्न तरीकों और नामों से खेली जाने वाली होली के अपने अलग रंग हैं 20वीं से अमरसिंह द्वारा 21वीं सदी में लाए गये समाजवादी मुलायमसिंह भी लगता है लम्बे समय से तरंग में मलंग है इसी फाल्गुन में केवल उन आडवाणी के कसीदे पढ़ गये जिनकी उपस्थिति में 1992 में अयोध्या में देश के अमन चैन को पलीता लगा दिया गया था इसी सभा में मुलायमसिंह अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री और पुत्र अखिलेश की सरकार को हड़काने लगे मुलायमसिंह भूल गये कि उत्तर प्रदेश में जिस समाजवादी पार्टी की सरकार है उसके वे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं अब कल कह दिया कि संप्रग की सरकार भ्रष्ट है, कांग्रेस धोखेबाज और धमकीबाज है| साथ में यह भी कह दिया कि इस सरकार को उनकी पार्टी का समर्थन जारी रहेगा उक्त सबके बावजूद समर्थन जारी रखने का कारण भी प्रकारान्तर से उन्होंने बता ही दिया कि अन्यथा केन्द्र की सरकार सीबीआई को उनके पीछे लगा देगी मानो सीबीआई हुई गली का कोई चौकीदार हो गया हो सी.बी.आई.! उधर मुलायम के पुराने सहयोगी और अब कांग्रेसी बेनी प्रसाद के सिर से तरंग उतरने का नाम ही नहीं ले रही है
तरंग में सभी लगते हैं छिछालेदर करती और करवाती संप्रग से बाहर आईं ममता बनर्जी श्रीलंकाई मसले पर द्रमुक के विपरीत केन्द्र सरकार को समर्थन जाहिर करती हैं और अगले ही दिन सरकार से इस्तीफा देने की मांग भी कर देती हैं गुजरात में अलग ही खेल हुआ! कुछ अमरीकी सांसद पैसा देकर मोदी से मिलने पहुंचे, मानो मोदी कोई अजूबा हों मोदी को भी पैसे का खेल बखूबी समझ में गया है
अपने प्रदेश की बात करें तो पुराने गलबहियां साथी गुलाबचन्द कटारिया और घनश्याम तिवाड़ी सशरीर तो अभी तक आमने-सामने नहीं हुए हैं लेकिन खबरों में आमने-सामने जरूर हो गये पहले आंटी-टेढी भाषा में तो अब सीधे संबोधित कर इक-दूजे को नसीहत-चेतावनी देने लगे हैं
बीकानेर में भी कल अजब वाकिआ सामने आया है सरकारी स्कूल के एक अध्यापक ने अपने ट्रांसफर के लिए सूबे के शिक्षामंत्री के सामने सार्वजनिक रूप से यह कहने का साहस दिखा दिया कि वे कांग्रेसी कार्यकर्ता भी हैं अन्य कांग्रेसियों ने उसकी ताईद भी कर दी तो शिक्षामंत्री ने भी उसे आश्वासन दे दिया| तो क्या मान लें कि अब सरकारी नियम कायदों में भी बदलाव हो गया है और कोई भी सरकारी तनख्वाह पाने वाला साथ-साथ किसी पार्टी का कार्यकर्ता भी हो सकता है? नहीं तो क्या उक्त अध्यापक के साथ-साथ शिक्षामंत्री और उपस्थित कांग्रेसी नेता अभी तक होली की तरंग में ही थे शिक्षामंत्री शिक्षा निदेशालय के एक कार्यक्रम में  माध्यमिक शिक्षा विभाग को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बोल गये तो माध्यमिक शिक्षा निदेशक भी जाति-व्यवस्था को प्रतिष्ठा दिये बिना नहीं रह सकीं
कल सुदर्शन कलादीर्घा में कई छायाकारों के चित्रों की प्रदर्शनी थी एक ही कार्यक्रम में कई-कई अतिथियों को बुलाने का चलन हो गया है आयोजन स्थल पर चाहे इतनी जगह ही हो कि सभी अतिथियों की उपस्थिति गरिमापूर्ण हो सके प्रदर्शनी के फीता कटिंग सेरीमनी में एक विश्वविद्यालय के कुलपति ढंग की कदकाठी के होते तो शायद फोटुओं में नदारद पाये जाते, क्योंकि उन्हें कुछ अन्य विशिष्टों के पीछे जो खड़ा रहना पड़ा यद्यपि उपस्थितों में कुलपति पद की हैसियत किसी से भी कमतर थी मान लो यह भी होली की तरंग में ही हो गया होगा!
30 मार्च, 2013

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