Tuesday, February 19, 2013

फेसबुक पर क्षेत्रीय नेता


सुबह जब फेसबुक अकाउंट खोला तो एक मित्र के माध्यम से लूणकरनसर विधायक और सूबे के गृहराज्यमंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल की पोस्ट अपनी वाल पर देखी, जिसमें बताया गया है कि लूणकरनसर क्षेत्र के लोगों की मांग पर क्या काम उन्होंने शुरू करवा दिये हैं। वीरेन्द्र बेनीवाल की यह सक्रियता पहले से है या उनके परम्परागत प्रतिद्वंद्वी मानिकचन्द सुराना की फेसबुकी सक्रियता के बाद से-जिज्ञासा का कारण बनती है। फेसबुक में यह सुविधा है कि खातेदार अपनी गतिविधियां दिखाने से रोके तो उनकी लगभग सभी गतिविधियों से समय-काल सहित वाकिफ़ रह सकते हैं लेकिन पिछले एक सप्ताह से ब्रॉडबैण्ड की सेवाएं बहुत धीमी हैं, सो चाहा तो भी पता नहीं कर पाये कि फेसबुक पर अस्सी पार के मानिकचन्द सुराना पहले सक्रिय हुए या पचास पार के वीरेन्द्र बेनीवाल। लेकिन दोनों अपने-अपने ऑपरेटरों के माध्यम से पूरी तरह सक्रिय हैं बावजूद इसके कि इनका चुनावी क्षेत्र ग्रामीण है और उनके बहुत कम मतदाता फेसबुक और ट्वीटर जैसी सोशल साइट्स से वास्ता रखते होंगे! इससे यह तो जाहिर होता ही है कि वे आगामी चुनावों को लेकर कितने गम्भीर हैं। लगता है ये दोनों ही वाेट और समर्थक जुगाड़ू कोई भी तरीका छोड़ना नहीं चाहते हैं।
ठीक इसके विपरीत दोनों शहरी विधानसभा क्षेत्र बीकानेरपूर्व और बीकानेरपश्चिम के सम्भावित उम्मीदवारों में इन सोशल साइट्स के प्रति कोई रुचि देखने को नहीं मिली| पूर्व की विधायक सिद्धीकुमारी की फेसबुक आईडी तो है लेकिन यह आईडी मृतप्रायः है और फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजने के विकल्प को उन्होंने बंद कर रखा है। वहीं उनके विरुद्ध कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुके तनवीर मालावत की आईडी भी बनी हुई है। तनवीर की खुले खाते टाइमलाइन पर आप आवाजाही तो कर सकते हैं लेकिन खुद उनकी सक्रियता भी बहुत कम है। इसी तरह की स्थिति गोपाल गहलोत के अकाउंट की है।
बीकानेर पश्चिम के विधायक गोपाल जोशी फेसबुक से नदारद हैं हालांकि उनके पुत्रों की थोड़ी-बहुत सक्रियता देखी जा सकती है। डॉ. बी.डी. कल्ला के नाम से आईडी, पेज और ग्रुप तो मिलते हैं लेकिन यह तीनों ही लगभग निष्क्रिय हैं। खुद कल्ला की टाइमलाइन लम्बे समय से कोई गतिविधि नहीं दिखा रही तो उनके नाम के पेज और ग्रुप भी कोई धनकनामा करते नहीं दीख रहे हैं। पता नहीं अगले चुनाव के लिए पूरे मुस्तैद कल्लाबन्धु इन सोशल साइट्स पर सक्रिय क्यों नहीं हैं? हालांकि फेसबुक हमारे यहां उस स्थिति में नहीं आई है कि वे चुनावों में उम्मीदवारों को सीधे लाभ या हानि पहुंचाए। भले ही एक प्रतिशत से भी कम इनका असर हो, असर तो है ही।
इस तरह के साधनों पर नन्दू महाराज और देवीसिंह भाटी का भरोसा पहले भी नहीं रहा है। हां, अपने सांसद अर्जुन मेघवाल पिछले लम्बे समय से जरूर सक्रिय देखे जाते हैं। रामेश्वर डूडी, बिहारीलाल, कन्हैयालाल झंवर, गोविन्द मेघवाल, डॉ. विश्वनाथ, मंगलाराम गोदारा आदि-आदि की फेसबुकी निष्क्रियता के बीच मानिकचन्द सुराना और वीरेन्द्र बेनीवाल की सक्रियता अच्छी लगती है।
19 फरवरी 2013

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