Thursday, November 15, 2012

भाई दूज, बाल ठाकरे और जनार्दन व्यास


भाई दूज है आज। नवरात्रा से शुरू हुआ उत्सवों का दौर आज विराम लेगा। हमारे इलाके में अभी इसी पूर्णिमा को श्रीकोलायतजी का मेला भी होना है, जो इस उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में रामदेवरा मेले के बाद का बड़ा मेला माना जाता रहा है-लेकिन धीरे-धीरे यह मेला अपनी रौनक खो रहा है। पूर्णिमा से पहले देवउठनी ग्यारस से (चतुर्मास विराम के बाद) बहुसंख्य समाज विवाह समारोह शुरू हो जायेंगे। यानी माहौल सांस्कृतिक उत्सव से पारिवारिक उत्सव में तबदील हो जायेगा। कानून और व्यवस्था के हिसाब से शहर में दीपावली ठीक ठाक रही। रोजमर्रा होने वाली छुट-पुट घटनाओं-दुर्घटनाओं के अलावा कोई बड़ी दुर्घटना अभी तक नोटिस में नहीं आई है, मोटा-मोट शान्ति रही, सन्तोष की बात है।
सुबह के राष्ट्रीय समाचारों में बड़ी खबर महाराष्ट्र से है। शिवसेना सुप्रीमों बाल ठाकरे की स्थिति नाजुक बनी हुई है। पिछली पूरी रात मुम्बई पुलिस की सांसें अटकी रहीं, बाल ठाकरे को कुछ भी होता है तो मुम्बई में दक्षिण भारत की तर्ज पर कुछ भी हो सकता है। कहा जा रहा है कि नाजुक आशंकाओं के चलते ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आज की मुम्बई यात्रा को रद्द किया गया है। खुद ठाकरे ने अपने समर्थकों से ऐसे ही जुनून की उम्मीदें हमेशा की हैं। ठाकरे मूलतः बिहार से हैं। उनके पूर्वज यहां गये थे। उनके पिता केशव ठाकरेसंयुक्त महाराष्ट्र आन्दोलनके अग्रणी नेताओं में से थे, ठाकरे परिवार का उन्होंने जो इतिहास लिखा उसी में बताया गया है कि ये मूलतः बिहारी हैं। खुद बाल ठाकरे पेशे से कार्टूनिस्ट रहे हैं और फिर पत्रकार हुए। अपना अखबार निकाला और मराठी मानुष के नाम की ठेकेदारी लेकर राजनीति करने लगे। उन्हें बिहारी के रूप में पहचाना जाए शायद इसलिए वे अकसर बिहारियों और उत्तरप्रदेशियों को मुम्बई से बाहर करने की बातें करते रहे हैं। इस तरह की संकीर्णताओं के चलते ही उनकी पार्टी का असर देश के अन्य इलाकों में तो क्या महाराष्ट्र के गैर मराठी भाषी इलाकों तक में नहीं देखा गया है। सदी के महानायक कहलाने वाले अमिताभ बच्चन अपने को उनसे काफी प्रभावित मानते हैं, वे बेटे अभिषेक के साथ धक्का-मुक्की खाते आधी रात ठाकरे के निवास पहुंचे, उन्होंने ट्वीटर पर ठाकरे को एकनॉलेज भी अच्छी तरह किया है, शायद अमिताभ के अपनेपेशेके लिए जरूरी भी है।पेशेके लिए ही वह नरेन्द्र मोदी के भी कसीदे पढ़ते हैं और इससे पहले मुलायमसिंह यादव के भी पढ़ चुके हैं।
इन्हीं सब के बीच हमारे शहर के एक व्यक्तित्व जनार्दन व्यास का स्मरण हो आया-जो ठाकरे से कुछ समानता लिए हुए थे-अतिशयोक्ति में उन्हें ठाकरे का पूर्व या लघुरूप कह सकते हैं। मूलतः चूरू के जनार्दन व्यास कला प्रेमी परिवार से थे। खुद भजन लिखते थे, एक भाई हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार भरत व्यास थे तो दूसरे भाई बी.एम. व्यास पौराणिक फिल्मों के अभिनेता रहे हैं। जनार्दन का ससुराल शहर के प्रतिष्ठित परिवार में था। राजनेता मक्खन जोशी के फूफा और झमणसा के बहनोई थे। बाल ठाकरे की ही तरह व्यवहार में सनक थी। लेकिन जनार्दन स्वभाव से ही अक्खड़ थे वहीं ठाकरे जरूरत होने पर अक्खड़ होते रहे हैं। ठाकरे के समान जनार्दन का व्यक्तित्व बन पाने का एक कारण उनका स्वभाव से ही अक्खड़ होना मान सकते हैं तो दूसरा यह कि ठाकरे जैसी प्रबन्धकीय क्षमता की कमी भी थी, चतुराई की ऐसी कमी भी कि अक्खड़पन कब और कहां दिखाना है!
जनार्दन व्यास ने भी राजनीतिक पार्टीजय हजारा दलबनाई थी, जन आन्दोलन भी किये और चुनाव भी लड़े, आम सभाओं में भरत व्यास और बी.एम. व्यास भी भीड़ बटोरने के लिए मुम्बई से जाते। लेकिन अपनी उक्त उल्लेखित न्यूनताओं के चलते ठाकरे जैसे वे नहीं हो पाये। पेशे से पुजारी थे-स्वभाव के कारण ही स्थाई रूप से कोई मंदिर नहीं पूज पाये। सादुलगंज काग्रेजुएट हनुमानकहलाने वाले मंदिर के शुरुआती पुजारी वही थे। हर नये दर्शनार्थी का जाति-धर्म पूछे बिना नहीं रहते थे, जो दर्शनार्थी उनके जातीय खांचे में फिट नहीं होता, उन्हें  दहलीज पार से ही दर्शन करना होता था। अपनेजय हजारा दलके भी वे सुपर सुप्रीमो थे-इसी कारण अपने साथ खुद के अलावा कभी किसी को नहीं जोड़ पाये। पत्नी और भाई तो रावण के साथ भी रहे तो पत्नीकीकी बुआऔर भाइयों प्रसिद्ध गीतकार भरत व्यास, अभिनेता बी एम व्यास को तो साथ होना ही था!
15 नवम्बर, 2012

No comments: