Saturday, October 6, 2012

थे मजा करो महाराज आज थांरी पांचू घी में है


बीकानेर के गीतकार मोहम्मद सदीक का एक गीत तीसेक साल पहले बहुत लोकप्रिय हुआ, ‘थे मजा करो महाराज आज थांरी पांचू घी में है, थांनै पुरस्यो सगलो देश, और थांरे कांई जी में है|’ कल शाम जब न्यूज चैनलएनडीटीवी इण्डियाके कार्यक्रमप्राइम टाइममें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर के भी महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले में उलझने पर चर्चा हो रही थी तो चर्चा में भाग ले रहे भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रतिनिधि खिसियाए से थे-पिछले एक अरसे से टीवी पर होने वाली इन बहसों में भाग लेने वाले दोनों ही पार्टियों के नुमाइन्दे अकसर ऐसी मनःस्थिति में देखे-पाये गये हैं| कल इस बहस को देखते-सुनते अनायास ही स्व. मोहम्मद सदीक का उक्त गीत कानों में बजने लगा|
सुबह के अखबारों में देखा तो शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष माशूक अहमद के हवाले से सनसनीखेज-सी खबर थी कि न्यास अध्यक्ष उनके पुत्र को मारने की धमकी दे रहे हैं| उपाध्यक्ष का पुत्र न्यास में ठेकेदारी कर रहा है-और पुराने भुगतान को लेकर कुछ तनातनी है| न्यास अध्यक्ष और शहर कांग्रेस अध्यक्ष, दोनों की ओर से कुछ सफाई देने जैसे और कुछ-कुछ लीपा-पोती करने के बयान भी अखबारों में छपे हैं|
अपने घर-धंधे से बाहर की छोटी-मोटी खबर रखने वाले सभी जानते हैं कि यह ठेके और ठेकेदार क्या होते हैं| यह ठेके कैसे लिए-दिये जाते हैं| और, ठेके पर होने वाले काम कैसे, किस तरह के होते हैं?
विनायकने एक बार पहले भी जिक्र किया था कि यह बात समझ से परे की है कि ठेकेदारी करने वाले और जमीनों का धन्धा करने वाले सभी राजनीति करने लगते हैं या राजनीति करने वाले सभी ठेकेदारी और जमीनों का धन्धा करने लगे हैं| इस बात की पुख्तगी हमें कभी हुई तो बताएंगे ही-अगर आप में से किसी को पता लग जाये तो आप भी बता सकते हैं!
इन वर्षों में इस ठेकेदारी क्षेत्र से सम्बन्धित एक बरामदगी हमें और हुई है-जिसे आप से साझा कर लेते हैं| आजकल ठेकेदारी की अधिकांश फर्में साझेदारी की बनने लगी हैं| साझेदारी भी गजब की-फर्म के दो साझेदारों में या तो सीधे-सीधे ही एक कांग्रेसी नेता होंगे और एक भाजपाई नेता होंगे या कोई थोड़े सावधान हुए तो एक साझीदार किसी एक पार्टी का नेता होता है और दूसरा साझीदार दूसरी पार्टी के नेता का कोई परिजन| कोई जरूरत से ज्यादा सावधान हुए तो दोनों साझीदार नेता होकर दोनों पार्टियों के नेताओं के परिजन ही होंगे| शायद ऐसा पिछले बीसेक वर्षों के अनुभव के आधार पर होने लगा है-जब से राज्य की सरकारेंउतर भीखा म्हारी बारीकी तर्ज पर बारी-बारी से कांग्रेस-भाजपा की बनने लगी हैं| अब धन्धा करना है या कहें ठेकेदारी करनी है तो यह चतुराइयां तो बरतनी होती है !!
माशूक-मकसूद प्रकरण भी इसलिए उघड़ गया कि समय पर दाबाचींथी शायद नहीं हो पाई-अब इस खबर काफॉलोअप आए तो पक्का मानिए कि दाबाचींथीप्रोपरतरीके से हो गई है|
थानै पुरस्यो सगलो देश, और थांरे कांईं जी में है|’
5 अक्टूबर 2012

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