Thursday, October 18, 2012

आपा देते गडकरी और आपा खोते खुर्शीद


भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने केजरीवाल के कल के खुलासों को चिल्लर (छुट्टे पैसे) कहा तो भारत के कानूनमंत्री सलमान खुर्शीद ने केजरीवाल की फर्रूखाबाद में प्रदर्शन करने की घोषणा पर धमकाया किवे वहां जाते हैं तो लौटकर भी दिखाएं|’
नितिन गडकरी भाजपा की असल हाईकमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसन्द हैं-संघ की शाखा में जाते थे, व्यापार करने लगे तो लगे हाथ राजनीति भी करने लगे-महाराष्ट्र मेंमोटामालका मोटा माध्यम बनी जेबी सहकारी समितियां भी बनाई| और राजनीति के सहारे देखते ही देखते राजनीतिक हैसियत, राजनीतिक हैसियत से धन और धन के बल से व्यापार सभी बढ़ते गये| उनका व्यापार कितना गोरा है और कितना काला यह देखने का काम फिलहाल अरविन्द केजरीवाल टीम के पास है सो वे जाने| महाराष्ट्र में मंत्री भी रहे| इन्हीं सबके चलते भाजपा की असल हाई कमानसंघ सुप्रीमोके ऐसे चित्त चढ़े कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गये| जब से भाजपा बनी है-इस तरह की नियुक्तियों के चमत्कार पहले भी हुए हैं| जब-तब पार्टी के शीर्ष नेता इसी प्रकार से अचानक अपने कोकहार’ (पालकी वाहक) की भूमिका में पाते हैं| गडकरी की नियुक्ति से आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी से लेकर छींका टूटने की उम्मीद में हाल-फिलहाल सबसे आगे बैठे अरुण जेटली और सुषमा स्वराज तक की यही स्थिति है|
वाड्रा मामले में जैसे पूरी कांग्रेस ने अपना आपा दिया ठीक वैसा ही आपा भाजपाई नेताओं ने कल उस समय दिया जब अरविन्द केजरीवाल ने गडकरी के सम्बन्ध में खुलासे किये| हालांकि खुलासों में इतना दम नहीं था कि भाजपा कांग्रेसियों की तर्ज पर ही गडकरी के बचाव में आती लेकिन भाजपा ने अपनी नियति कांग्रेस कीफोटोकॉपीकी बना ली है, और ये फोटोकॉपियां बेहतर नहीं कुछ बदतर ही होती हैं| गडकरी की प्रतिक्रिया भी चिल्लर टाइप ही थी| अरे! देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हो तो प्रतिक्रिया हजार के नोट जैसी सही सौ-पांच सौ के नोट जैसी तो देते| खैर, जैसा आपा होगा वैसा ही तो देंगे| गलती तो उनकी है जो इन नेताओं से ज्यादा की उम्मीद करते हैं, हम भी उनमें शामिल हैं!
ऐसे ही सलमान खुर्शीद हैं| विरासत तो उनके पास डॉ. जाकिर हुसैन की है, दोहिते हैं उनके| पिता खुर्शीद आलम खान भी शालीन राजनेता रहे हैं| एक-दूसरे केन्द्रीय मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा की भाषा में बात करें तो निरे अनाड़ी हैं-बजाय सत्तर करोड़ के सत्तर लाख के घोटाले में फंस मरे-नेता जमात की इज्जत मिट्टी में मिला दी! हमारे यहां कैबत है कि कोई हासिल उतना ही कर पाता है जितनी उसकी पोटी (क्षमता) होती है| घोटाले की पोटी की शायद अभी झलक ही दिखी है, लेकिन बोल-बोल कर अपनी चतुराई का दिवाला जरूर चौड़े कर रहें हैं| इसे बौद्धिक दिवालियापन कहना तो उचित नहीं होगा शायद!!
वाड्रा खुलासे के समय भी सलमान खुर्शीद ने अपनी नेता या उनके दामाद के लिए जान तक देने की बात की तो अपने पर लगे आरोपों को लेकर पत्रकारों कोशटअप’, ‘देख लेनेऔर अब जब अरविन्द केजरीवाल ने उनके चुनावी क्षेत्र फर्रूखाबाद जाकर प्रदर्शन करने की बात की तो खुर्शीद ने यहां तक कह दिया किजाएं भले ही फिर वहां से लौट कर भी दिखाना’| हमारे बीकानेर शहर के मुहल्लों में नई-नई दादागिरी शुरू करने वाले दूसरे मुहल्लों में तनातनी होने पर कुछ-ऐसी सी धमकियां देते हैं| ‘ऑक्सफोर्डमें पढ़े, अपने देश के कानून मंत्री चाहे घोटालेबाज हों चाहें दादा, उन्हें बोलते वक्त तो पद की गरिमा का निर्वहन करना चाहिए|
अरविन्द केजरीवाल के सम्बन्ध में इतना ही कहेंगे कि वह चाहे वाड्रा खुलासा हो या सलमान खुर्शीद खुलासा या फिर गडकरी का खुलासा, उनका पोदीना दीखने लगा हैं-इसका बड़ा नुकसान देश को यह हो रहा है कि आगे लम्बे समय तक देश की जनता का वह समूह जो बदलाव चाहता है, उम्मीदे छोड़ देगा और किसी दूसरे काबिल अगुवा पर जल्दी से भरोसा नहीं करेगा!!
18 अक्टूबर, 2012

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