Friday, October 5, 2012

संघ की मुख्य रणनीति


राजस्थान के जामडोली कस्बे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का चैतन्य शिविर कल सम्पन्न हुआ| संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत पत्रकारों से सीधे तो मुखातिब नहीं हुए और ही स्वयंसेवकों के जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में बाहरी कोई था-सो पत्रकार भी नहीं थे वहां| लेकिन समाधान शिविर में प्रकाश में आई जिज्ञासाओं का समाधान भागवत ने जो दिया उसी के आधार पर बाद में जयपुर प्रांत ने सह संघचालक डॉ. रमेश खंडेलवाल ने पत्रकारों की जिज्ञासाओं का समाधान किया| पत्रकारों की जिज्ञासाओं और उनके दिए समाधान के आधार पर कल रात टीवी में और आज सुबह के अखबारों में समाचार बने हैं|
संघ की स्वदेशी की अपनी जो धारणा है वो गांधी की स्वदेशी की धारणा से भिन्न है| संघ की इसी धारणा के आधार पर आरएसएस के अनेक प्रकल्पों में स्वदेशी का एक प्रकल्प भी सक्रिय है| वह इसी आधार पर खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और भारतीय बाजार में चीनी घुसपैठ के खिलाफ है-लेकिन संघ व्यापार के वैश्विक तरीकों और बड़े उद्योग समूहों के खिलाफ नहीं है-संघ शायद मानता है कि भारतीय उपभोक्ता का शोषण कोई भारतीय ही कर सकता है-विदेशी नहीं|
भागवत ने कल दो ऐसी जिज्ञासाओं का समाधान भी बताया, जिनमें एक उसकी राजनीतिक इकाई भारतीय जनता पार्टी से सम्बन्धित है और दूसरी उसी कांग्रेस पार्टी से सम्बन्धित है जिसके कार्यकलापों के विरोध और वैचारिक अहसहमतियों की बदौलत ही संघ का निर्माण मोटा-मोट हुआ था|
भाजपा की अगुवाई के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को यदि आगामी आम चुनावों में बहुमत मिलता है तो प्रधानमंत्री पद के नाम की जो रस्साकशी भाजपा में चल रही है उस पर भागवत ने जो तर्क दिया उसका खुलासा इस तरह किया गया कि प्रधानमंत्री कौन होगा यह तय भाजपा खुद ही करेगी और यह भी बताया गया कि भाजपा शीर्ष में नरेन्द्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और नितिन गडकरी जैसे स्वयंसेवक हैं| यह बात हजम इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि भाजपा में लगभग सभी नियुक्तियों और नीतिगत फैसलों का इशारा लेने भर को कई-कई दिनों-महीनों तक नागपुर की ओर स्थिर नजरों के साथ भाजपा को मूर्तिवत् खड़े उसी तरह देखा जाता रहा है, जिस तरह कांग्रेसी 10, जनपथ की ओर मुंह बाए खड़े रहते हैं| आपको भरोसा हो रहा है क्या भागवत की इस बात पर!
भागवत के हवाले से एक और अविश्वसनीय बात सामने आई कि संघ अपने स्वयंसेवक मांगने पर कांग्रेस को भी उसी तरह उपलब्ध करवाएगी जिस तरह से वह भारतीय जनता पार्टी को उपलब्ध करवाती है| भागवत की यह उदारता हमारी समझ को तो ओवरटेक करके गुजर गई है-आपमें से किसी के समझ में आई हो या जाए तो विनायक के पाठकों के साथ जरूर साझा करें| संघ के बारे में हमारी यह धारणा लगातार पुख्ता होती जा रही है कि अपनी स्थापना से ही संघ की मुख्य रणनीति भ्रम पैदा करना और फैलाना रही है|
1 अक्टूबर 2012

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